लोगों की राय

अमर चित्र कथा हिन्दी >> कृष्ण-लीला

कृष्ण-लीला

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2975
आईएसबीएन :81-7508-444-8

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

40 पाठक हैं

प्रस्तुत है कृष्ण की जीवन लीला.....

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कृष्ण लीला

भारत की धर्म-गाथाओं में कृष्ण का चरित्र सबसे मोहक तथा शालीन है। वे गोपियों के साथ हास-परिहास करने वाले साधारण ग्वाले भी हैं और गीता का उपदेश देने वाले परम विचारक भी।
कृष्ण बालकों के अत्यन्त प्रिय पात्र हैं क्योंकि वे स्वयं भी बालक हैं जैसा कि अन्य कोई दैवी पुरुष नहीं। बालक कृष्ण बड़े नटखट हैं, शरारती हैं, अनेक विपत्तियों पर विजय पाने की अपार शक्ति उनमें है। वे न रूढिग्रस्त हैं न पुराण-पन्थी। उनमें दैवी शक्ति है। तथापि उन शक्तियों को मानवीय बना कर उन्होंने अपना बाल रूप बनाये रखा है। कृष्ण की व्यापक लोकप्रियता का एक कारण उनकी यह मानवता है। वे पवित्र हैं फिर भी धार्मिक भेद-भाव से परे हैं। इसी लिए कृष्ण की कथाएँ सुननेवाले बालक उन्हें जीता-जागता व्यक्ति महसूस करते हैं।


सामन्त वसुदेव का विवाह मथुरा की राजकुमारी देवकी के साथ सम्पन्न हुआ। वे अपनी दुलहिन को विदा करा कर ले जा रहे थे।
देवकी का चचेरा भाई, राजकुमार कंस रथ चला रहा था। वह बड़ा निर्दय था और जनता उससे भयभीत रहती थी।
यह तो कंस है ! भागो !
अहा ! देखो, वसुदेव, लोग कैसे भाग रहे हैं !
तभी एक आकाशवाणी सुनाई दी।
कंस तू जल्दी ही काल का ग्रास बनेगा। देवकी का आठवाँ बच्चा तेरा वध करेगा।
यह आठवें बच्चे के होने तक जीवित रहेगी, तभी तो ! मैं इसे पहले ही मार डालूँगा !
कंस: सुनो तो सही !

प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book