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जहाँगीर
जहाँगीर
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2006 |
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 2980
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आईएसबीएन :81-7508-450-2 |
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अकबर और जहाँगीर की रचनाओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों पर आधारित पुस्तक...
Jahangir -A Hindi Book by Anant Pai
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जहाँगीर
जहाँगीर मुगले-आजम अकबर जैसे महान बादशाह के बेटे थे। बड़े बाप का बेटा होना ही जहाँगीर के लिए अभिशाप बन गया। कई दंतकथाएँ प्रचलित हैं, कि जहाँगीर के अभिशप्त जीवन का कारण अनारकली और नूरजहाँ थीं, लेकिन उनकी इस व्यक्तिगत त्रासदी में इन दोनों का जरा भी हाथ नहीं था।
अकबर के प्रति जहाँगीर का स्नेह और आदर बहुत गहरा था। इसलिए जब उन्हें लगा कि उनके पिता धीरे-धीरे उनसे मुँह फेर रहे हैं तो वे यह नहीं कह सके। शुरू में अकबर और जहाँगीर के बीच जो निकटता थी उसका जहाँगीर के व्यक्तित्व पर बहुत प्रभाव पड़ा इसी से प्रकृति के प्रति उनमें रुचि पैदा हुई।
प्रस्तुत कथा की घटनाएँ अकबर और जहाँगीर की रचनाओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों पर आधारित हैं।
जहाँगीर
1569 में एक दिन मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजपूत पत्नी, जोधाबाई को सीकरी के लिए विदा किया, जहाँ महान् सूफी संत, शेख सलीम चिश्ती रहते थे।
हमारे जो भी बच्चे आगरा में पैदा हुए मर गये। इंशाअल्लाह, सूफी शेख के मुकाम पर पैदा होने वाला बच्चा जिंदा रहेगा और सल्तनत का वारिस बनेगा।
उधर जोधाबाई अपने विचारों में डूबी थीं।
प्रभु की शायद यही इच्छा है कि भावी सम्राट किसी संत की कुटिया में जन्मे।
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