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हनुमान
हनुमान
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2006 |
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 2987
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आईएसबीएन :81-7508-445-6 |
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219 पाठक हैं
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हनुमान के जीवन पर आधारित पुस्तक...
Hanuman A Hindi Book by Anant Pai
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हनुमान
पवन और अंजना के पुत्र, हनुमान ने वानर का जन्म लिया तथापि अपने चरित्र के बल पर उन्होंने हिन्दू देवताओं में प्रमुख स्थान पाया। राम के प्रति उनकी एकनिष्ठ भक्ति ने उन्हें राम के अनन्य भक्त के रूप में प्रसिद्धि दिलायी। इस भक्ति ने उनके विचारों को संकीर्ण नहीं किया और न उन्हें अहंकारी बनाया अपितु उनमें करुणा और प्रेम की भावना को और प्रबल किया।
इसी से जब सीता रावण के अशोक वन में अकेली विरह की अग्नि में जल रही थीं तब हनुमान उन्हें सान्त्वना देने में समर्थ हुए। इसी से वे अनेक वर्षों के पश्चात् राम के वीर पुत्रों, लव तथा कुश के समक्ष आत्म-समर्पण करने में भी समर्थ हुए।
हनुमान स्वभाव से धीर-गंभीर थे तथापि अपने सौतेले भाई, भीमसेन, से जो ‘कल्याण सौगंधिका’ नामक पुष्प की खोज में था, उन्होंने परिहास भी किया। महाभारत का यह प्रसंग अत्यंत् रोचक एवं लोकप्रिय है।
हनुमान वानर थे या नहीं, यह बात उन लोगों के लिए कोई महत्त्व नहीं रखती जो उनके अन्तर की उदात्त की भावना को पहचानते हैं।
हनुमान
हनुमान पवन-देव के पुत्र थे एक दिन वे उगते सूरज को सेव समझकर उसकी ओर लपके।
आयु के साथ उनका बल भी बढ़ता गया।
एक बार उन्होंने निहत्थे ही राजकुमार सुग्रीव को मस्त हाथी से बचाया।
तुमने मुझे मरने से बचा लिया हनुमान !
यह मेरा सौभाग्य है राजकुमार !
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