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नारी विमर्श >> आखिर कब तक

आखिर कब तक

रमाशंकर श्रीवास्तव

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3082
आईएसबीएन :81-7-55-411-X

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‘मैं जानता हूँ कि समय की क्या वास्तविकता है। बड़े-बड़े आदर्शवादी शिक्षकों में देख चुका हूँ। बेचारे इस मँहगाई में छोटी-छोटी सुविधाओं के लिए तरसते रहते हैं।

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