लोगों की राय

हास्य-व्यंग्य >> हँसाए जा प्यारे

हँसाए जा प्यारे

जैमिनी हरियाणवी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 321
आईएसबीएन :81-288-1020-0

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

84 पाठक हैं

हास्य व्यंग्य का काव्य संकलन - व्यक्ति की शादी दो महाकाव्यों को जोड़ती है, पिरोती है। पहले चलती है रामायण और बाद में महाभारत होती है।

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined offset: -27

Filename: books/book_info.php

Line Number: 553

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book