|
कविता संग्रह >> युगांत युगांतसुमित्रानंदन पंत
|
138 पाठक हैं |
||||||
पंत जी का खण्ड काव्य...
युगांत में पल्लव की कोमल कांत कला का अभाव है। इसमें मैंने जिस नवीन क्षेत्र को अपनाने की चेष्टा की है,मुझे विश्वास है,भविष्य में मैं उसे अधिक परिपूर्ण रूप में ग्रहण एवं प्रदान कर सकूँगा।
|
|||||
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book








