लोगों की राय
अमर चित्र कथा हिन्दी >>
गरुड़
गरुड़
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2006 |
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
|
पुस्तक क्रमांक : 3360
|
आईएसबीएन :81-7508-471-5 |
|
6 पाठकों को प्रिय
242 पाठक हैं
|
गरुड़
Garun A Hindi Book by Anant Pai ok
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गरुड़ पौराणिक गाथाओं का पक्षी है। भारत में प्राचीन काल से इस पक्षी को बड़ा मान दिया गया है। अनेक भारत-विज्ञों की मान्यता है कि गरुड़ द्रविड़ मूल के देवता हैं।
सब वैष्णव मंदिरों में देव-मूर्ति के सामने पत्थर का ध्वज-स्तंभ होता है। स्तंभ पर अकसर धातु भी चढ़ी रहती है। इस स्तंभ पर गरुड़ की मूर्ति बनी रहती है। गरुड़ को भगवान् विष्णु अनन्य भक्त माना जाता है इसलिए अधिकांश वैष्णव मन्दिरों में अलग से भी गरुड़ की विशाल मूर्ति स्थापित की जाती है। भारतीय इतिहास का ‘स्वर्णयुग’ कहलाने वाले गुप्त काल में राजकीय ध्वज पर गरुड़ का चित्र हुआ करता था।
गरुड़ को सफेद चोंचवाला विशालका बाज़ माना जाता है परंतु मंदिरों में उनकी मूर्ति का रूप मनुष्य का होता है। साँप उनका प्रिय भोजन माना जाता है। महाभारत के आदि पर्व में बताया गया है कि साँपों की माता, कद्रु और गरुड़ की माता, विनता को एक-दूसरे से बड़ी ईर्ष्या थी । इसी कारण गरुड़ साँप खाने लगे।
यह भगवान् विष्णु की महिमा है कि जन्मजात शत्रु गरुड़ और शेष दोनों ही उनकी सेवा में रत हैं। शेष पर वे शयन करते हैं और गरुड़ उनकी सवारी है।
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai