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लव-कुश
लव-कुश
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2006 |
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 3383
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आईएसबीएन :81-7508-462-6 |
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लव और कुश पर आधारित कथा....
Lava Kush A Hindi Book by Jaydayal Goyandaka
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
लव कुश
राम और सीता की कथा भारत में रमी हुई है। सबसे पहले इसे वाल्मीकि ऋषि ने अपने महाकाव्य, रामायण में प्रस्तुत किया था।
राम अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बडे़ पुत्र थे। राजा के तीन रानियां थी। कौसल्या, कैकेयी, और सुमित्रा।
राम कौसल्या के पुत्र थे, भरत कैकेयी के तथा लक्ष्मण और शत्रुघ्न सुमित्रा के। राजर्षि विश्वामित्र ताड़का राक्षसी का वध करने के लिए राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले गये । वहां से लौटते हुए राम ने राजा जनक की पुत्री, सीता से विवाह किया। जलन के मारे कैकेई ने राजा दशरथ को, उनकी इच्छा के विरुद्ध, राम को बनवास देने और भरत को राजा बनाने के लिए मजबूर किया।
सीता और लक्ष्मण भी राम के साथ गये। जंगल में रावण धोखे से सीता को उठा ले गया। राम ने वानरों की सेना लेकर लंका पर चढ़ाई की। बड़ा भयकंर युद्ध हुआ। जिसमें रावण तथा उसके साथी मारे गये। राम सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे। भरत ने प्रेम से उनकी अगवानी की और राम अयोध्या के राजा हुए तथा सीता रानी। परन्तु उनका बुरा समय़ अभी बीता नहीं था।
किस प्रकार राम ने अपनी प्रजा के सन्देह के कारण गर्भवती सीता को घर से निकाला, वाल्मीकि ऋषि ने उनके पुत्रों लव और कुश का लालन-पालन किया और अन्त में उनका पुनर्मिलन हुआ-यह कथा यहाँ रंगीन चित्रों द्वारा प्रस्तुत की गयी है। यह कथा भवभूति के ‘उत्तरराम चरित’ पर आधारित है।
लव-कुश
राम अय़ोध्या के राजा थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी।
अपने भाइयों-लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के साथ राम प्रजा का सुख-दुख सुनने के लिए बाहर जाते।
और रोज शाम महारानी सीता के साथ अपने दूतों से मिलते। एक शाम-
बोलो, बोलो ! डरो नहीं !
नहीं महाराज। महारानी के सामने यह बात नहीं कह सकता !
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