अर्थशास्त्र >> शून्य से शिखर शून्य से शिखरप्रकाश बियाणी
|
1 पाठकों को प्रिय 35 पाठक हैं |
भारतीय उद्योगपतियों की सफलता की गाथा।
पुस्तक की प्रेरणा डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, महामहिम राष्ट्रपति का ‘विजन : 2020’ ‘‘सन् 2020 में भारत को हमें संपन्न व विकसित राष्ट्र बनाना है...’’ मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि देश के अग्रणी उद्योगपतियों की विकास गाथा के सम्बन्ध में एक पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है। इनमें से प्रत्येक उद्योगपति ने विभिन्न क्षेत्रों में देश के औद्योगिक विकास में जो योगदान दिया है, वह सराहनीय है। इस प्रकार के अग्रगामी उद्योगपतियों की उद्यमिता और कल्पनाशीलता के आधार पर हम अपने देश को वर्ष 2020 तक विश्व के शीर्ष देशों में अग्रणी स्थान दिलाने में सफल होंगे, इसका मुझे पूरा विश्वास है।
मुझे आशा है कि यह पुस्तक ‘शून्य से शिखर’ सभी उद्यमियों को उत्कृष्टता के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देगी। भैरोसिंह शेखावत उप-राष्ट्रपति, भारत यह न तो साहित्यिक कृति है और न ही उस किस्म की पुस्तक, जिनके शीर्षक होते हैं - ‘कैसे हो सफल’ या ‘कैसे बने अमीर’। यह पुस्तक उन भारतीय कार्पोरेट्स की कहानी दोहराती है, जो वास्तविक जीवन में शून्य से शिखर पर पहुँचे हैं। यही समय पर सही जोखिम उठाने वाले इस पुस्तक के नायक उद्यमशीलता का सबक सिखाते हैं और कहते हैं कि धन कमाना बुराई नहीं है। इनका अनुकरण करके ही हम देश के नए राष्ट्रनायक श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का विकसित राष्ट्र का ‘विजन : 2020’ पूरा कर सकते हैं।
|