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प्रकृति द्वारा स्वास्थ्य नीबू और आँवला

राजीव शर्मा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :63
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3483
आईएसबीएन :81-288-913-x

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नींबू और आँवला के गुणों का वर्णन....

Prakrati Dwara Swastha Nembu Aur Aavala

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


प्रकृति हम सबको सदा स्वस्थ बनाए रखना चाहती है और इसके लिए प्रकृति ने अनेक प्रकार के फल, फूल, साग, सब्जियां, जड़ी-बूटियां, अनाज, दूध, दही, मसाले, शहद, जल एवं अन्य उपयोगी व गुणकारी वस्तुएं प्रदान की हैं। इस उपयोगी पुस्तक माला में हमने इन्हीं उपयोगी वस्तुओं के गुणों एवं उपयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की है। आशा है यह पुस्तक आपके समस्त परिवार को सदा स्वस्थ बनाए रखने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

प्रकृति ने हमारे शरीर-संरचना एवं स्वभाव को ध्यान में रखकर ही औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ बनाए हैं। शरीर की भिन्न-भिन्न व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं।
इन्हीं अमृततुल्य पदार्थों जैसे-तुलसी, अदरक, हल्दी, आंवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में जानकारी अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास है—यह पुस्तक।

प्रस्तावना


प्रकृति ने हमारे शरीर, गुण व स्वभाव को दृष्टिगत रखते हुए फल, सब्जी, मसाले, द्रव्य आदि औषधीय गुणों से युक्त ‘‘घर के वैद्यों’’ का भी उत्पादन किया है। शरीर की भिन्न-भिन्न व्याधियों के लिए उपयोगी ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ, अमृततुल्य हैं। ये पदार्थ उपयोगी हैं, इस बात का प्रमाण प्राचीन आयुर्वेदिक व यूनानी ग्रंथों में ही नहीं मिलता, वरन् आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी इनके गुणों का बखान करता नहीं थकता। वैज्ञानिक शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि फल, सब्जी, मेवे, मसाले, दूध, दही आदि पदार्थ विटामिन, खनिज व कार्बोहाइड्रेट जैसे शरीर के लिए आवश्यक तत्त्वों का भंडार हैं। ये प्राकृतिक भोज्य पदार्थ शरीर को निरोगी बनाए रखने में तो सहायक हैं ही, साथ ही रोगों को भी ठीक करने में पूरी तरह सक्षम है।

तुलसी, अदरक, हल्दी, आँवला, पपीता, बेल, प्याज, लहसुन, मूली, गाजर, नीबू, सेब, अमरूद, आम, विभिन्न सब्जियां, मसाले व दूध, दही, शहद आदि के औषधीय गुणों व रोगों में इनके प्रयोग के बारे में अलग-अलग पुस्तकों के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास ‘मानव कल्याण’ व ‘सेवा भाव’ को ध्यान में रखकर किया गया है।
उम्मीद है, पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे।
सादर,

-डॉ. राजीव शर्मा
आरोग्य ज्योति
320-322 टीचर्स कॉलोनी
बुलन्दशहर, उ.प्र.

                पुरानी व नई माप
     8 रत्ती        -        1 माशा
     12 माशा    -        1 तोला
     1 तोला        -        12 ग्राम
     5 तोला        -        1 छटांक
     16 छटांक    -        1 कि.ग्रा.
     1 छटांक        -        लगभग 60 ग्राम

नीबू-सामान्य परिचय



नीबू में ए, बी और सी विटामिनों की भरपूर मात्रा है-विटामिन ए अगर एक भाग है तो विटामिन बी दो भाग और विटामिन सी तीन भाग। इसमें ये तत्त्व प्रचुरता में हैं-पोटेशियम, लोहा, सोडियम, मैगनेशियम तांबा, फास्फोरस और क्लोरीन। प्रोटीन, वसा और कार्बोज भी पर्याप्त मात्रा में हैं।

विटामिन ‘ए’ की कमी हो तो शरीर की बढ़ोतरी रुक जाती है, यहां तक कि रोगों से लड़ने की ताकत ही घट जाती है, आंखें भी कमोजर पड़ जाती हैं, हड्डियों के जोड़ दर्द करने लगते हैं, शरीर सूखता चला जाता है और शरीर-तंत्र में सड़ांध पैदा होने लगती है, यह सड़ाध मुँह से बदबूदार साँस बनकर निकलने लगती है, दोस्त-यार उसके पास खड़े होने में भी कतराते हैं। नीबू में विटामिन ‘ए’ का एक ही भाग इन सब बुराइयों को जड़ से मिटा देता है। आप यूं भी कह सकते हैं कि नीबू ‘बिछुड़े यार’ मिलवाता है, क्योंकि विटामिन ए की कमी दूर होने से न पायरिया होना, न मसूड़े फूलेंगे न सड़ांध रहेगी, मुँह से सुगंधित सांस निकलने लगेगी और लोगबाग आपके पास खिंचे हुए आने लगेंगे।


नीबू मौत के मुँह से बचाता है


अब जरा विटामिन ‘बी’ की कमी का नजारा भर देखिए ! खाने-पीने का शौक ही मरने लगता है क्योंकि जठराग्नि ठंडी पड़ जाती है, जब पेट में पहले से पड़े खाद्य पदार्थ ही नहीं पकेंगे तो मुँह के रास्ते हँडिया में कुछ और डालने की इच्छा ही मरने लगेगी, पेट ने ही काम न किया तो मक्खियों की तरह सौ-सौ रोग झपट्टे मारेंगे, कब्ज रहने लगेगी, पेट में सड़ रहे मल की गैस दिमाग खराब कर देगी, आदमी दूसरों को हर घड़ी काट खाने को दौड़ेगा, दोस्त आपका हालचाल पूछ रहे होंगे और आप पेट में उठते मरोड़ को मुट्ठी में दबाए शौचालय की तरफ भागेंगे, जीना ही दूभर हो जाएगा। नीबू में विटामिन ‘बी’ दो भाग है। यह आदमी को मौत के मुँह से बचा लेता है। बुझी जा रही जठराग्नि को यह इतनी प्रचंडता से भड़का देता है कि आदमी खाता भी जी भरकर है और खाया हुआ पचा भी देता है। जिसका हाजमा सही हो गया, उसके अंदर विकार रहेगा कैसे ! हाँ नीबू का सेवन उतनी ही मात्रा में कीजिए जहां तक उसके असर से आप ‘भुक्खड़ न कहलाने लगें।


नीबू सूखे गाल भर देता है



विटामिन सी की कमी भी शरीर का सत्यानाश कर देती है। यहां तक कि आंतों में छाले भी पड़ जाते हैं, रक्त दूषित हो जाता है जोड़ों में ऐंठन सी आ जाती है, शरीर की मशीनरी ही ढंग से काम नहीं करती, मुँह की महक मर जाती है और दांत खराब होने लगते हैं, मतलब यह कि आदमी मरियल-सा होकर रह जाता है। इसके सेवन से अन्दरूनी सफाई के साथ-साथ ताजगी और स्फूर्ति आती है। सूखे हुए गाल भरने लगते हैं और उनमें साफ खून की ललाई उमड़ आती है।


नीबू मेल-जोल सिखाता है



यहां हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं नीबू मेलजोल से और घुल-मिलकर रहने वाला फल है। मगर स्वभाव से यह दाहक (जलानेवाला) और तीखा है। इसीलिए पानी, फल या सलाद सब्जी में डालकर ही नीबू का सेवन करना चाहिए। यह ऐसा ईधन है जो फल या जल में मिलकर शरीर को स्वास्थ्य और सौंदर्य देकर यह साबित करता है कि मिल-जुलकर रहोगे तो सुख भोगोगे।


खनिज-तत्त्वों का भंडार



हमारे शरीर में खनिज-तत्त्वों का सही मात्रा में मौजूद होना उतना ही जरूरी है जितना स्वस्थ रहना। पोटेशियम ऐसा तत्त्व है, जिसके अभाव में हमारा जिगर बेकार होने लगता है, जिगर का काम ठप होगा तो मल जमा होने लगेगा, इसका असर यह होगा कि फोड़े-फुंसियों से बदन भर जाएगा, घाव भरने में ही नहीं आएंगे।


नीबू में कैल्शियम



मैग्नीशियम की कमी से स्नायु-तंत्र में भारी गड़बड़ी पैदा हो जाती है जैसे कि अपने आप पर से विश्वास उठ जाना, दिल की धड़कन बढ़ जाना सीने में जलन रहना, खून में अम्लता का अंश बढ़ जाना, डाँवाडोल हो जाना, बे-सिर पैर की बातें सोचना और वहमी या शक्की मिजाज हो जाना। नीबू में मैग्नीशियम भी अच्छी मात्रा में है और यह स्नायु-तंत्र को मजबूत करके वहमों से छुटकारा दिला देता है।


नीबू भूख जगाता है



हमारे शरीर में बल और स्फूर्ति के स्रोत हैं कार्बोज। जीने-योग्य गर्मी बनाए रखने के लिए हमें कार्बोज की हमेशा जरूरत होती है। गर्मी से हमारा मतलब झगड़ालूपन नहीं, बल्कि यौवन से है। अन्दर गर्मी होगी तो भूख भी लगेगी और प्यास भी। शरीर की गर्मी ही मर जाए तो नींद भी भागने लगती है। नीबू में कार्बोज भी भरपूर हैं और ये आदमी को बुढ़ापे में भी फुर्तीला बना देते हैं।


नीबू ‘मिलन’ कराता है



सच तो यह है कि नीबू में खनिजों का विशाल भंडार है। खनिज-तत्त्व एक तरह से अग्नि तत्त्व होते हैं। इनकी कमी हमारे दिलो-दिमाग पर भी असर डालती है और इन्द्रियों पर भी। शरीर में ताजगी होगी तो खाना भी अच्छा लगेगा, घर भी अच्छा लगेगा, पत्नी भी सुन्दर लगेगी और पति भी प्यारा लगेगा। कामेच्छा का भी इससे सीधा गहरा सम्बन्ध है। नींबू में इतना गुण है कि यह नपुंसकता को जड़ से उखाड़ देता है। पति का ढीलापन और पत्नी की उदासीनता को हटा के उन्हें प्यार और मिलन के लिए उकसाता है।


याद रखें-


1 नीबू-रस को ‘अकेला’ कभी न पीएँ।
2 एक ग्लास जल में चम्मच-भर-नीबू रस काफी समझें।
3 नीबू की दहकता कम करने के लिए नमक भी मिलाएँ।
4 सुबह और शाम जरूर लें।
5 दोपहर के भोजन के साथ न लें तो अच्छा।
6 प्याज में डालकर दोपहर को भी लिया जा सकता है।
7 दाल-सब्जी में नीबू निचोड़ना छोड़ दें।
8 गर्मियों में नीबू का भरपूर सेवन करें।
9 सर्दियों में कम मात्रा लें।
10 बरसात में संभलकर सेवन करें।
11 शुरू में 24 घंटों में दो नीबू काफी हैं।
12 चार-पाँच नीबू रोजाना से आगे न बढ़े।
13 खाली पेट नीबू-रस लेना विशेष हितकारी है।
14 आंच देकर अधिक रस निचोड़ने का लालच न करें।
15 नीबू का बीज गले तक न पहुंचने दें।
16 नीबू का रस छानकर इस्तेमाल करना उत्तम है।
17 नीबू-रस हमेशा कप, ग्लास या काँच की शीशी में ही निचोड़े पीतल, लोहे या तांबे के पात्रों को नीबू से अलग ही रखें।
18पीला नीबू ही प्रयोग में लाएँ, हरा नहीं।
19 नीबू की कई किस्में हैं-कागजी, जंभीरी, बिजौरा आदि। सब-के-सब नीबू हैं और नीबू हर हाल में अपना असर दिखाता है।


दुर्गंध नाशक है नीबू



नीबू तन-मन्दिर महकाने के काम भी आती है। इसकी सुगन्धि में यह गुण है कि किसी दुर्गन्धि के आगे यह दब नहीं जाती। स्वच्छता के साथ-साथ यह हमारे मुँह का स्वाद भी बढ़ाती है और सुवासित भी करती है। तन की नाली प्रणाली की गंदगी निकालकर यह रक्त के विकार भी मिटा देती है। जिसका खून साफ हो गया, उसे बीमारी से क्या मतलब !


पेट के रोग



अजीर्ण


 अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उन पर नीबू निचोड़िए ऊपर से सेंधा नमक छिड़किए और चटखारे लेकर चबाना शुरू कीजिये। मिनटों में हाजमा सही होने की रसीद आ जाएगी, अर्थात् हाजमेदार एक-दो डकार खुलकर आ जाएंगे।

नीबू के रस में अदरक के टुकड़े थोड़े गुड़ और सेंधा नमक के साथ सिल पर पीसकर चटनी बनाइए और स्वाद के साथ चाट जाइए। पलों में चुस्ती और फुर्ती की लहरें सी उठती महसूस होने लगेंगी।

 किसी मर्तबान में नीबू काटकर सेधा नमक डालें और बन्द करके दो-चार दिन कड़क धूप में रखें। यह स्वादिष्ट अचार थोड़ा-थोड़ा चाटिये और खाइये। जठराग्नि भड़क उठेगी। पहले का खाया हुआ तो पच ही जाएगा, नया खाने को भी जी ललचाएगा।

 वमन (कै) से शरीर खिंचकर ढीला पड़ जाता है, क्योंकि शरीर के बहुत से खनिज निकल जाते हैं। कैल्शियम की भी कमी होती है। इसके लिए नीबू का रस ढाई तीन माशे, उससे आधी मात्रा में अजवाइन दो तोला चूने का निथरा हुआ पानी और तोला-भर शहद मिलाकर सेवन करें। बच्चों से लेकर बूढ़ों के सभी अजीर्ण समूल उखाड़ देगा।

 ज्यादा दौड़भाग न कर सकें तो नीबू को बीच से काटकर उस पर सेंधा नमक छिड़क दीजिए। अब इसे हल्की-सी आंच देकर चूस लीजिए। क्षणों में चैतन्य होकर आप भले-चंगे मुस्कराने लगेंगे।

 सेंधा नमक नीबू का रस, अदरक का रस और जरा-सा केशर मिलाकर, छुहारे के टुकड़ों के साथ चबाइये। शक्ति और स्फूर्ति के धारे आपके अंग-अंग से फूटने लगेंगे।

 रामबाण गोली-सोंठ, सेंधा नमक और शुद्ध गन्धक समान मात्रा में लेकर नीबू-रस में खूब अच्छी तरह घोट लें। इनकी नन्हीं-नन्हीं (चने बराबर) गोलियाँ बना लें। जब भी कब्ज हो, अजीर्णता सताए, दो गोली सुबह और दो गोली शाम को चूस लें। सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।


अतिसार (दस्त)



1.  एक कप पानी में एक नीबू का रस निचोड़ लें और उसमें सेंधा नमक मिला लें। बारह घंटों में पाँच बार सेवन करें। दस्त बंद हो जाएंगे और शरीर भी ढीला नहीं पड़ेगा।

2. एक जायफल और तीन रत्ती अफीम को नीबू छेदकर डाल दें। उस पर कोई साफ-सुधरा कपड़ा लपेटकर गीली मिट्टी चढ़ा दें और आग पर पका लें। ठंडा हो जाने पर मिट्टी आदि उतार दें और नीबू में से जायफल व अफीम निकाल लें। अब नीबू की कोई जरूरत नहीं उसे फेंक दें। जायफल और अफीम में थोड़ा जल डालकर एक दर्जन गोलियाँ बना लें। तीन-तीन घंटे बाद गोली का सेवन करें। दस्त बंद हो जाएंगे और तबीयत संभलने लगेगी।

3 . नीबू-रस में नाममात्र की अफीम घिसकर चटाने से भी अतिसार का वेग शांत हो जाता है।


अम्लपित्त


शरीर में गर्मी और तेजाबी माद्दा जमा हो जाए तो अनेक विकार पैदा हो जाते हैं। इसका बड़ा ही आसान इलाज है-कोसे (कवोष्ण, हल्के गर्म) पानी में नीबू निचोड़कर पी जाइए। एक बार न आए तो एक और बार पी जाइए।

आँव-दस्त या आमातिसार



पेचिश या मरोड़ के साथ अगर आँव आती रहे तो नीबू की शरण में आइये। नीबू के रस में एकाध रत्ती अफीम घोलकर उसमें प्याला-भर दूध मिला दें। तुरन्त पी जाए। न पेचिश सताएगी और न मरोड़ उठेंगे।


पेट दर्द


उपचार-एक चौथाई ‘नीबू-रस निकालें, एक तोला काला नमक, और तीन माशा हींग भी लें। किसी साफ शीशी में, निचुड़े हुए नीबुओं का गूदा डाल दें, उसमें बीज नहीं होना चाहिए। गूदे के ऊपर काला नमक डालकर शीशी को हिलाए और धूप में डाल दें। गूदा गल जाने पर नीबू का रस और हींग भी डाल दें। शीशी को ढक्कन लगाकर तीन सप्ताह चाहे धूप में रखें, चाहे धरती में गाड़ दें। दवा तैयार। उदर-शूल में विशेष हितकारी है।

1. काला नमक, त्रिफला सोंठ, सनाय की पत्ती, चारों समान मात्रा में लेकर नीबू के रस में बारीक पीस दें। इसकी गोलियाँ बना लें। जब भी पेट में शूल उठे, दो गोली सुबह और दो गोली शाम को ताजा पानी के साथ निगल लें। दर्द और चमक शांत हो जाएंगे।

2.  नीबू काटकर उस पर जरा सी हींग और काला नमक बुरक दें। इसे चाटते-चाटते ही हाजमें के डकार आने लगेंगे और इसके साथ ही आप शूल को भूल जाएंगे।


कब्ज


सूखी सब्जियां दिन-रात खाने, दूध-दही को हाथ न लगाने और प्यास मारने से किसी को भी कब्ज हो सकती है। कइयों का पेट सप्ताहों तक सख्त बना रहता है। उनके लिए आसान तरीका यह है कि सुबह खाली पेट नमकीन शिकंजी के दो गिलास पी लें। सारा मल निकल जाएगा। पुराने कब्ज में यह क्रिया सुबह-शाम करनी चाहिए। बहुत पुराने कब्ज को तोड़ने के लिए दिनभर में दसेक नीबू इस्तेमाल किये जा सकते हैं। बीच-बीच में मीठी शिंकजी भी लेते रहें, इससे नमक और मिठास का सन्तुलन बना रहेगा।


खूनी बवासीर


उपचार-इसमें दूध के साथ नीबू रस लेना पड़ता है। नीबू मिलते ही दूध न फट जाए, इसके लिए आसान तरीका यह है कि खुली कटोरी में दूध पीते समय साथ-ही साथ बीज से मुक्त नीबू भी दूध में निचोड़ते रहें खूनी बवासीर का यह अकसीर इलाज है।
 नीबू को काटिये, उस पर सेंधा नमक भुरकिये और चूसते रहिए। खून बहना बन्द हो जाएगा और शरीर में ताजगी भी आने लगेगी।


जी मिचलाना


अगर मचली आने लगे या कै (वमन) हो रही हो तो ताजे ठंडे जल में शक्कर घोलकर नीबू निचोड़िये और पी जाइए। कलेजे में ठंडक पड़ जाएगी। सर्दी के दिनों में शक्कर की जगह शहद का इस्तेमाल करना चाहिए। शक्कर की शिकंजी पित्त का प्रकोप शान्त करती है और शहद की शिकंजी सर्दी सहने की क्षमता को बढ़ाती है। सर्दियों में शिकंजी के लिए पानी थोड़ा गुनगुना (हल्का गर्म) लेना चाहिए।


दूध उलटना


यह विकार अधिकतर बच्चो में देखा जाता है। आप नीबू की जड़ दूध में घिसकर वही दूध बच्चे को पिलाइये। न वह दूध उलटेगा, न कमजोर पड़ेगा। बच्चा दूध पी चुके तो नीबू रस की दो बूँदे चम्मच-भर पानी में मिलाकर उसे पिला दें। यह वहम छोड़ दीजिए कि दूध और नीबू विरोधी हैं। गले से उतरते ही दूध तो पहले ही फट जाता है, नीबू से फटने की नौबत कहाँ आएगी !


पीलिया


पांडुरोग (पीलिया) खून की कमी (एनीमिया) का विकार है जो लापरवाही में जानलेवा भी हो सकता है। खून बनाने में सहायक पदार्थों का सेवन करने की अगर क्षमता न हो तो दो तोले नीबू-रस आप हर घंटे बाद ले ही सकते हैं। पीला बदन खून की ललाई से दमकने लगेगा।


पेट में कीड़े

दूषित पानी, बिना धोई साग-सब्जी या फल के साथ कई बार कृमि (कीड़े) पेट में पहुँच जाते हैं। मिट्टी खाने का जिन्हें चस्का लग जाए, उनके पेट में कीड़े पैदा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। नीबू के छिलके सुखाकर उसका काढ़ा बनाइए और छानकर पी जाएये। मल के रास्ते कीडों के मुर्दे निकल जाएंगे और चेहरे की रंगत लौटने लगेगी।


वायु-विकार


जंगी हरड़ तोला-भर लेकर आधा तोला शुद्ध तूतिया (नीला थोथा) भी ले लें। दोनों को नीबू रस में खरल करके नन्हीं-नन्हीं गोलियां बना ले। जो लोग नाक सिकोड़कर कहते हैं कि उन्हें गैस ट्रबल (वात प्रकोप) है, उन्हें ये गोलियाँ गाय के घी के साथ लेनी चाहिए। तूतिया के जहर से बचने के लिए गाय का घी लेना ही पड़ता है। दाल-रोटी में भी गाय के दूध का घी उचित रहता है।


संग्रहणी


यह शरीर को निचोड़ डालने वाला विकार है। इसमें नीबू और अफीम का योग कारगर रहता है। नीबू काटकर एक फाँक पर कुल आधी रत्ती अफीम रखकर ऊपर दूसरी फाँक टिकाए। उन्हें आंच पर थोड़ा तपाएं। जब नीबू ठंडा हो जाए तो चूस लें। अफीम न मिले तो नीबू की जड़, अनार की जड़ और असली केसर की चार तुरी डालकर पीसें, पानी के छीटें देकर रगड़ें और पानी में घोलकर पिला दें। संग्रहणी की जड़ें तक हिल जाएंगी। आराम महसूस करके आप यही योग दोबारा लेने पर मजबूर हो जाएंगे।


त्वचा व बाल रोग


खुजली


रक्त-विकार में खुजलाने से बड़ा मजा आता है, मगर धीरे-धीरे यह हंसी उड़वाने का लक्षण बन जाता है। कितना अजीब लगता है कि कोई आपसे बात कर रहा हो तो आप पीठ खुजलाते-खुजलाते टाँग उठाकर पिंडली खुजलाने लगें, फिर एक हाथ सिर खुजला रहा हो और दूसरा बगल नाखुन चला रहा हो ! इसका तुरन्त उपचार कीजिए-

1. नारियल के तेल में नीबू का रस मिला लें। तेल में नीबू रस आधी मात्रा में मिलाना चाहिए। इससे बदन की खुलकर मालिश कीजिए। इसके बाद धूप में पानी से मल–मलकर स्नान कीजिए। खाज होगी ही नहीं ! हां, नीबू-रस पीते भी रहिये ताकि खून भी साफ होता रहे।

2.  महिलाएं सरसों और हल्दी को नीबू-रस में घोलकर उबटन बना लें और शरीर पर लेपकर, मल-मलकर रगड़ें। खाज तो क्या होगी, बदन मखमल सा मुलायम हो जाएगा।

3.  हरताल और गन्धक को नीबू के रस में घोट-पीसकर लगाना भी उत्तम उपचार है।

 4. करौंदे की जड़ नीबू रस में पीसकर लगाना भी उत्तम उपचार है।

 5. खुजली में अगर दाने निकल आए तो नारियल के तेल में आधी मात्रा नीबू रस मिलाकर मालिश करें। शरीर शांत और हल्का हो जाएगा।


गंजापन


अगर सिर पहले ही गंजा हो चुका है तो इसे पैतृक विरासत ही समझना चाहिये। हां, शारीरिक विकार से बाल झड़ रहे हों और सिर में फोड़े-फुंसी हों तो नीबू-रस में जरा सी अफीम घोलकर गंजे भाग पर लेप करें, बाल नये सिरे से उग आएंगे।


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