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बिल्लू बादशाह के एस.एस.एस.जोक्स

कुलदीप सलूजा

प्रकाशक : फ्यूजन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :126
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3557
आईएसबीएन :81-89605-70-4

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बिल्लू बादशाह के एस.एम.एस.जोक्सों का संकलन...

Billu Badshaha Ke SMS Jokes A Hindi Book by Kuldeep Saluja - बिल्लू बादशाह के एस.एस.एस.जोक्स - कुलदीप सलूजा

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

मेरा पन्ना,

प्रिय दोस्तों,
बिल्लू बादशाह के संसार में आपका स्वागत है। चालीस देशों की यात्रा के दौरान इन चुनिंदा जोक्स को मैंने एकत्रित किया। ये सभी जोक्स आपको ठहाके लगाने में मजबूर कर देंगे क्योंकि इन जोक्सों में कहीं न कहीं आपके बीच घटने वाली घटनाएं है।

मैं खुश मिजाज खुले विचारों वाले जिन्दादिल सिख परिवार में हुआ। जहाँ हंसना-हँसाना और स्वयं पर भी हँसना एक आम बात है। हमेशा मेरा प्रयास रहा है कि मैं खुद भी हँसू और अपने मित्रों को भी खूब हँसाऊं। पिछले 22 वर्षों से मित्र मण्डली के साथ सुबह सैर करने की आदत है।

जहाँ एक दूसरे को चुटकुले सुनाकर सुबह की सैर का आनन्द दुगुना किया जाता है। मित्रों के आग्रह पर मेरा भी प्रयास रहता है कि मैं उन्हें रोजाना एक दो नए चुटकुले सुनाऊँ। इसी कारण मैं अपनी मित्र मंडली में बिल्लू बादशाह के नाम से प्रसिद्ध हो गया हूँ मेरे दोस्तों का कहना है

कि ठहाका क्लब की हँसी तो आर्टिफिशियल होती है, पर यार, तेरा चुटकुला सुनने के बाद जो हँसी निकलती है। वह हँसी अंतरात्मा की होती है। यही सोचकर मन में विचार आया कि क्यों न मेरे चुटकुलों के संग्रह से कुछ चुन्निदा चुटकुले आप सब तक हिन्दी भाषा में पहुंचाऊं और अपने दोस्तों के साथ-साथ आप सबको भी खूब हंसाऊं। आप भी य़ह चुटकुले दोस्तों को सुनाएं ताकि अपने व उनके तनाव भरे जीवन में ढेरों खुशियां भर सकें। चुटकुलों की भी अपनी खूबसूरती होती है क्योंकि वह हँसाते हैं। खुले दिल से हँसने पर आदमी ऊर्जा से भर जाता है।


शोधकर्ताओं ने लोगों के हँसने के बाद के अनुभवों और मस्तिष्क के स्कैन के आधार पर जो निष्कर्ष निकाले है, उनके अनुसार हंसने से दिमाग के सभी भागों कि एक्सरसाइज हो जाती है। इसी प्रकार एक शोध में पाया गया है कि जो बुजुर्ग हँसना खिलखिलाना बंद कर देते हैं, उनकी याददाश्त जल्दी ही कमजोर हो जाती है। इसके पीछे भी वैज्ञानिकों का यही तर्क था कि हँसने से मस्तिष्क के तमाम हिस्सों में रक्त का संचार बढ़ता है, स्फूर्ति आती है और मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ जाती है।

हँसी को कई भागों में बाँटा जा सकता है जो हल्की सी मुस्कान से प्रारम्भ होकर ठहाके तक में तब्दील हो जाती है और हँसी के मारे पेट में बल पड़ने लगते है। तब हँसने वाला अपनी हँसी रोके तब भी न रुके और हंसते-हंसते लोटपोट हो जाए। वैज्ञानिक इस प्रकार की ठहाकेदार हँसी को मानसिक–शारीरिक व्यायाम की संज्ञा देते हैं। इस प्रकार हँसने के बाद शरीर में बहुत हल्कापन महसूस होता है।

अलग-अलग तरह के चुटकुलों के लिए दिमाग में प्रतिक्रिया भी अलग-अलग भागों से उठती है, परन्तु उनसे उठने वाले आनन्द की लहर की अनुभूति एक ही स्थान से होती है। दिमाग के उस भाग में जहां चुटकुले सुनते समय सबसे ज्यादा हलचल होती है उसे ‘फनी स्पॉट’ का नाम दिया गया है प्रयोग में यह भी देखा गया है कि घिसे-पिटे पुराने सपाट चुटकुले सुनते समय तो दिमाग में कोई प्रतिक्रिया नहीं होती थी। लेकिन मजेदार ट्वीस्ट लिए हुए दो मायने वाले चुटकुलों को सुनने से मनुष्य के दिमाग के कई भागों में हलचल होना शुरू हो जाती है।

चरम आनन्द तो तब आता है जब चुटकुला एक ऐसे बिन्दु पर मुड़ जाता है जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। तब यह नया अचानक मोड़ हमारी सारी तार्किकता को भुला देता है हमारे सारे तर्क हमारी सारी भाषाएं थोड़े समय के लिए हमें फिर से बच्चा बना देती है।

पश्चिमी देश वाले समझते है कि हममे ‘सेंस ऑफ ह्यूमर’ अधिक है लेकिन हास्य का जो सहज भाग भारत की जनता में है वह अन्य किसी देश में हो ही नहीं सकता। जीवन में कितनी ही परेशानियाँ क्यों न हों लेकिन इसके बाद भी हम भारतीय हँसने-मुस्कराने ठहाके लगाने में नहीं चूकते हैं।

दोस्तों का आग्रह व अपनी अभिरुचि The joke book series of billoo badhshah के जन्म का कारण बनी। इस जोक्स की श्रृंखला में अभी तक सैंतालीस पुस्तकें अंग्रेजी में एवं चार पुस्तकें हिन्दी में प्रकाशित हो चुकी हैं। इसी श्रृंखला में SMS पर एक पुस्तक हिन्दी में और तीन पुस्तकें SMS, Advance and new SMS अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी हैं।


दोस्तों मुझे हमेशा नए चुटकुलो एवं SMS की तलाश रहती है मुझे कहीं भी किसी से कोई चुटकुला या SMS पढ़ने या सुनने में आए तो उसे नोट कर लेता हूँ ताकि अपने दोस्तों को सुनाकर इतना हँसाऊं कि हँसते-हँसते उनके पेट में बल पड़ जाए। यदि आपके पास, भी कोई नया चुटकुला या SMS हो जो लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दे तो मुझ तक पहुँचाएं ताकि इस श्रृंखला के माध्यम से सभी हँसोड़ों तक पहुँच सके।

मेरी यह पुस्तक मेरे साथ सुबह सैर करने वाले सभी जिंदादिल हंसोड़ दोस्तों को समर्पित है।

-कुलदीप सलूजा


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