आचार्य श्रीराम शर्मा >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान आकृति देखकर मनुष्य की पहिचानश्रीराम शर्मा आचार्य
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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।
बिल्कुल सुनहले बाल मृदुलता, विलास और खुश मिजाजी का चिह्न हैं। ऐसे बालों वाले कोई बड़ा काम नहीं कर सकते, किसी संघर्ष में विजय भी कम ही प्राप्त करते हैं फिर भी उनका विनोदी स्वभाव आकर्षक होता है। यदि सुनहरीपन में कुछ कालापन तथा लालिमा मिली हो तो यह मनोबल का सूचक है, ऐसे लोगों की बुद्धि तीव्र होती है और मानसिक शक्तियों का विकास विशेष मात्रा में हुआ देखा जाता है। उसमें लिखने, बोलने, कल्पना करने, निर्माण करने तथा प्रभाव डालने की शक्ति अधिक देखी जाती है।
बिल्कुल लाल रंग के बाल कम ही दीख पड़ते हैं पर जब दीख पड़ें तो समझना चाहिए कि इस व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क में गर्मी तथा बदला लेने की व्यग्रता अधिक पाई जायगी, जो काम करेंगे बड़े उत्साह, लगन तथा जाँ फिसानी से करेंगे। जिसके पीछे पड़ेगे उसका पीछा आसानी से न छोड़ेंगे। जरा सी बात में उतेजित हो जाना, कल्पना जगत में भावुकता के साथ विचरण करते रहना ऐसे लोगों का स्वभाव-सा बन जाता है।
कभी-कभी इस तरह के बाल देखने में आते हैं जो किसी खास रंग के नहीं होते, उन्हें न तो काला कहा जा सकता है न लाल और न सुनहरी वरन् वे कई रंगों के मिश्रण से बने होते हैं, कालापन, लालिमा तथा सुनरहरीपन की मात्राओं का न्यूनाधिक मिश्रण होने से दर्जनों किस्म के रंग बन सकते हैं, बालों के रंग इसी आधार पर दर्जनों किस्म के होते हैं और हो सकते हैं। आकृति विद्या का अभ्यास करने वालों को वह अनुभव प्राप्त करना चाहिए कि बालों का रंग देखकर यह अन्दाज लगा सकें कि इनमें किस रंग का कम और किसका अधिक मिश्रण हुआ है।
जिस रंग का जो गुण है वह मिश्रण में भी अपनी मात्रा के अनुसार गुण प्रकट करेगा। जैसे काले रंग में थोड़ा लाल रंग मिला हो तो उस व्यक्ति में काले रंग के गुण अधिक होंगे साथ ही थोड़ा बहुत लाल रंग का प्रभाव भी दिखाई पड़ेगा। साथ ही मोटे, पतले, छोटे, लम्बे, कड़े, मुलायम तथा लच्छेदार बालों की जो विशेषता होती है उसका भी समावेश पाया जायेगा। इस तरह इन सभी बालों की विवेचना करते हुए, हर व्यक्ति के सम्बन्ध में अलग-अलग मत निश्चित करना पड़ेगा। इस विद्या के अभ्यासियों को पुस्तक के आधार पर प्राप्त हुए ज्ञान का उपयोग स्वतंत्र बुद्धि से करना होता है, जैसे कि डाक्टर लोग हर रोगी की विविध मार्गों से परीक्षा करके उसकी बीमारी का केवल पुस्तक के आधार पर नहीं वरन् बुद्धि पूर्वक निर्णय करते हैं।
बालों के कड़े और मुलायम होने का भेद महत्वपूर्ण है, हर बार फिर उसे दुहरा देना हम अनुचित नहीं समझते। पाठकों को स्मरण रखना चाहिए कि तार से कड़े बाल कठोरता, मर्दानगी, आत्म विश्वास, बल, दृढ़ता तथा अहंकार के सूचक हैं। ऐसे व्यक्तियों में कला, प्रेम, ममता, सहानुभूति प्रभूति कोमल गुणों की कमी होती है। इसके विपरीत मुलायम बालों वाले भावुक, मृदुल, कल्पना प्रिय, डरपोक, उपकारी, धार्मिक, दयालु, शान्ति प्रिय स्वभाव के होते हैं।
जिनके बालों की जड़ों के खुरंट जमने लगे, सफेद भूसी सी अधिक जमें उन्हें गर्म प्रकृति का, तेज स्वभाव वाला, कठोर प्रकृति का एवं चिन्ताशील समझना चाहिए। शोक अशान्ति एवं लम्बी बीमारी के कारण बालों की जड़ें कमजोर पड़ जाती हैं और बीच-बीच में से उखड़ने लगते हैं। जिनके बाल स्वत: ही छिर-छिरे हों उन्हें इतनी योग्यता अवश्य होती है कि निर्वाह से अधिक धन कमा सकें।
शूल की तरह जिनके बाल ऊपर को उड़ते हैं वे क्रोधी, चिड़चिड़े और असहिष्णु देखे जाते हैं। अत्यंत घने बालों वाले धनी और चतुर तो अवश्य
होते हैं, पर उन्हें मानसिक क्लेश सदा बने रहते हैं। रेशम से मुलायम बालों वाले व्यक्ति बड़े भावुक होते हैं, उनके मन में प्रेम का प्रवाह स्वयं उमड़ता रहता है।
माथे पर बहुत आगे तक यदि बाल आ गये हों तो वह सदा ही कठिनाइयों के बीच में गुजरने वाला होगा। जिसका मस्तिष्क बहुत ऊँचाई तक बालों से रहित हो, वह अधिक समझदार होता है। कानों की जड़ से जिसके बाल बिल्कुल मिले हुए हों, वह अपनी बात का धनी होता है। गरदन पर बहुत दूर तक बाल चले गये हों तो इसे मानसिक विकास का चिह्न समझना चाहिए।
बहुत बड़ी और काली मूछों वाले मनुष्य लड़ाकू बहादुर और स्वाभिमानी होते हैं। छिरछरी, हलकी, मध्यम ऊँचाई की मुलायम मूछे बुद्धिमत्ता की सूचक हैं। बहुत ही छोटी और थोड़ी मूछें होना पुरुषत्व के कई आवश्यक गुणों की कमी प्रकट करती हैं। जिनकी मूछें बड़ी तेजी से बढ़ती हों उन्हें उतावले स्वभाव का समझना चाहिए।
पूरी भरी दाढ़ी तेजस्वी पुरुषों की होती है। उथले स्वभाव के मनुष्यों की ठोड़ी पर थोड़े से बाल आते हैं और कान के आस-पास की जगह खाली पड़ी रहती है। जल्दी बढ़ने वाली दाढ़ी बहुत धीरे-धीरे बढ़े उनकी मित्रता अधिक दिन किसी से नहीं निभती और न उनका कोई सच्चा सहायक होता है।
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- चेहरा, आन्तरिक स्थिति का दर्पण है
- आकृति विज्ञान का यही आधार है
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