श्रंगार - प्रेम >> गलतफहमी गलतफहमीनिमाई भट्टाचार्य
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इस दुनिया का हर इंसान खाना जुटाने, आश्रय, रुपये-पैसे के सपने देखता है। उपन्यास का नायक सैकत भी सुखी जीवन बिताने का सपना देखता है।
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