चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट >> मूँछें ताने पहुँचे थाने मूँछें ताने पहुँचे थानेसुभद्रा मालवी
|
1 पाठकों को प्रिय 433 पाठक हैं |
प्रस्तुत है कविता संग्रह...
Rajani
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मूँछें ताने पहुँचे थाने
मूँछें ताने पहुँचे थाने,
चूहे जी इक रपट लिखाने।
बिल्ली मौसी हवलदार थीं,
एक दो नहीं तीन चार थीं।
पहली ने चूहे को डाँटा,
दूजी ने मारा इक चाँटा,
बढ़ी तीसरी आँखें मीचें,
चौथी दौड़ी मुट्ठी भींचे।
काँप उठे चूहे जी थर थर,
सरपट भागे अपने घर पर
फिरते हैं अब तक घबराए,
लौट के बुद्धू घर को आए।
चूहे जी इक रपट लिखाने।
बिल्ली मौसी हवलदार थीं,
एक दो नहीं तीन चार थीं।
पहली ने चूहे को डाँटा,
दूजी ने मारा इक चाँटा,
बढ़ी तीसरी आँखें मीचें,
चौथी दौड़ी मुट्ठी भींचे।
काँप उठे चूहे जी थर थर,
सरपट भागे अपने घर पर
फिरते हैं अब तक घबराए,
लौट के बुद्धू घर को आए।
तारे
आसमान में चमके तारे,
लगते कितने प्यारे प्यारे।
छोटे छोटे, नन्हें नन्हें,
झिलमिल-झिलमिल करते तारे।
रात अँधेरी जब होती है,
राह दिखाते हैं ये तारे।
आते हैं जब काले बादल,
छिप जाते हैं तब ये तारे।
लगते कितने प्यारे प्यारे।
छोटे छोटे, नन्हें नन्हें,
झिलमिल-झिलमिल करते तारे।
रात अँधेरी जब होती है,
राह दिखाते हैं ये तारे।
आते हैं जब काले बादल,
छिप जाते हैं तब ये तारे।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book