सामाजिक >> टापू पर अकेले टापू पर अकेलेसे. रा. यात्री
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‘टापू पर अकेले’ उपन्यास एक ऐसे समाज-विमुख व्यक्ति की कथा है जो अपने सोच, पसन्द और दृष्टिकोण में किसी से जुड़ने की आवश्यकता नहीं समझता।
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