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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : श्रीवेदमाता गायत्री ट्रस्ट शान्तिकुज प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4105
आईएसबीएन :000

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गुरुदेव की वचन...

पूर्वाभास से मार्गदर्शन


मौंटे कौसिनी के विशप बेनेडिक्ट एक बार गिरजाघर की खिड़की के सहारे खड़े आकाश की ओर देख रहे थे। उन्हें लगा कि, उनकी बहिन श्वेत वस्त्रों में, बादलों में समाती चली जा रही है। यह दृश्य देखते-देखते उनके हृदय की गति तीव्र हो उठी। वे तीन दिन पूर्व ही बहिन स्कोलास्टिका से कन्वेंट में मिलकर आए थे। तब वे पूर्ण स्वस्थ थीं, पर न जाने कैसे उन्हें यह आभास हुआ कि, उनकी बहिन की मृत्यु हो गई। दिन भर विचार आते रहते हैं, पर शरीर संस्थान प्रभावित नहीं होता। इस स्थल पर हृदय का धड़कना विशिष्टता का द्योतक था। सचमुच हुआ भी वैसा ही। जिस क्षण बेनेडिक्ट को यह दिवास्वप्न आ रहा था, ठीक उसी समय उनकी बहिन स्कोलास्टिका अपना इहलोक त्याग रही थी। पीछे पता चला कि, मृत्यु के समय बहिन ने सबसे अधिक अपने भाई बेनेडिक्ट को ही याद किया था। यह घटना इस बात की प्रमाण है कि, भावनाओं की शक्ति और सामर्थ्य भौतिक शक्तियों की अपेक्षा बहुत अधिक है। यदि लोग इंद्रियों के सुखों के छलावे में न आवें, अपितु भावनाओं की सूक्ष्म सत्ता और महत्ता को समझ सकें, तो भौतिक जीवन भी बहुत अधिक सफल और सरल रूप में जिया जा सकता है।

पराविज्ञान की ड्यूक विश्व विद्यालय शाखा ने पूर्वाभास की असंख्य घटनाएँ संकलित की हैं। उसमें एक महिला की अनुभूति बहुत भाव भरे शब्दों में इस प्रकार अंकित है—मेरे पति स्नायविक सन्निपात का, लगभग ५० मील दूर एक कस्बे में इलाज करा रहे थे। उनका प्रतिदिन पत्र आता और उससे स्वास्थ्य की प्रगति का समाचार मिल जाता। एक दिन अनायास ही मेरे मन की बेचैनी बहुत अधिक बढ़ गई। मुझे लगा कि, कोई फोन पर बुला रहा है। सम्मोहित-सी मैं फोन के पास तक गई, पर उन अधिकारी महोदय के भय से फोन न कर सकी, जिनका वह फोन था। मैंने यह बात अपनी पुत्री को भी बताई। दूसरे दिन पति का कोई पत्र नहीं मिला।

तीसरे दिन एक साथ दो पत्र मिले, जिसमें मेरे पति ने अपनी बेचैनी लिखते हुए ठीक उस समय फोन करने की बात लिखी थी—जिस समय मैं फोन करने के लिए अत्यधिक और अनायास भाव विह्वल हो गई थी। दूसरे पत्र में उन्होंने फोन न करने पर दुःख व्यक्त किया था। पत्र समय पर नहीं आया, पर अंतःप्रेरणा किस तरह मन को झकझोर गई, यह रहस्य समझ में नहीं आया।

जीवित आत्माएँ ही नहीं, हमारी अंतरात्मा पवित्र और उत्कृष्ट हो, अंतःकरण की आस्था बलवान् हो और उसकी पुकार को हम संपूर्ण श्रद्धा से सुनने को तैयार हों, तो अंतर्जगत में निवास करने वाली परमार्थ परायण पितर और देव आत्माओं द्वारा भी आभास अनुभूतियाँ अर्जित की जा सकती हैं। अमेरिका के इंजन ड्राइवर होरेस एल० सीवर ने तो अपनी इस पूर्वाभास की विलक्षण क्षमता के कारण "किंग ऑफ दि रोड" की सम्मानास्पद उपाधि पाई थी और उसकी गणना सर्वश्रेष्ठ रेल चालकों में की जाती थी। होरेस के जीवन की दो घटनाएँ इतनी विलक्षण थीं, जिन्होंने सैकड़ों अमेरिकियों को अतींद्रिय सत्ता पर विश्वास करने के लिए बाध्य किया। होरेस धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। आत्मा के अस्तित्व पर उन्हें आस्था थी। भूत-प्रेतों पर वे पूरी तरह विश्वास करते थे। यही नहीं-उसकी यह मान्यता भी थी कि, घटनाओं से आगाह कराने का पूर्वाभास भी उन्हें कोई अपने साथ रहने वाली अतींद्रिय सत्ता ही कराती है।

उन दिनों होरेस "बिगफोर" ट्रेन के ड्राइवर थे, जो अमेरिका के कैंटकी श्हर से चलकर इलिनायस होती हुई शिकागो पहुँचती है। एक दिन उन्हें एक मिलिट्री रेजीमेंट को शिकागो पहुँचाने का कार्य सौंपा गया। गाड़ी ६० मील प्रति घंटा की गति से चल रही थी। एकाएक उन्हें लगा कि इंजन कक्ष में किसी की आवाज गूंजी-'सावधान ! खतरा है। आगे पुल जला हुआ है। जबर्दस्त विश्वास के साथ होरेस उठ खड़े हुए और पूरी शक्ति से गाड़ी रोकने का उपक्रम किया। गाड़ी बीच में ही रुक जाने से परेशान
कमांडर नीचे आए और गाड़ी रोकने का कारण पूछा, तो होरेस ने अपने पूर्वाभास की बात बताई। कमांडर बहुत बिगड़ा और गाड़ी स्टार्ट करने का आदेश दिया, किंतु होरेस ने स्थिति स्पष्ट हुए बिना गाड़ी चलाने से स्पष्ट इनकार कर दिया। पता लगाया तो बात सच निकली। कमांडर ने न केवल क्षमा याचना की, अपितु हजारों सैनिकों की जीवन रक्षा के लिए होरेस को हार्दिक धन्यवाद दिया। किंतु होरेस कृतज्ञतापूर्वक यही कहते रहे, यह तो उन अज्ञात आत्मा की कृपा है, जो मुझे ऐसा अनुभव कराते रहते हैं।

एक बार तो शिकागो से लौटते समय बड़ी ही विलक्षण घटना घटी। तब एकाएक उन्हें किसी ने कहा-सामने इसी पटरी पर दूसरी गाड़ी आ रही है, गाड़ी को तुरंत पीछे लौटाओ। बड़ी कठिन परीक्षा थी, किंतु अदम्य विश्वास के सहारे पूरी शक्ति और सावधानी से गाड़ी रोक दी और उसकी रफ्तार पीछे को कर दी। गाड़ी में बैठे यात्री चालक की सनक पर झुॉला रहे थे, कि सामने से धड़धड़ाता हुआ इंजन इस गाड़ी पर चढ़ बैठा। एक ही दिशा होने और संभल जाने के फलस्वरूप किसी भी यात्री को चोट नहीं आई, मात्र इंजन को मामूली क्षति पहुँची। पीछे सारे बात ज्ञात होने पर यात्री होरेस के प्रति कृतज्ञता से आविर्भूत हो उठे, साथ ही इस विलक्षण पूर्वाभास पर वे आश्चर्यचकित हुए बिना भी न रह सके।

संत सुकरात को भी इसी तरह पूर्वाभास होता था। पूछने पर वे कहते थे—कोई 'डेमन' उनके कान में सब कुछ बता जाता है। होरेस की स्थिति भी ठीक वैसी ही थी।

ऐसी कितनी ही घटनाएँ देखने में आती हैं, जिनमें लोगों में अनायास ही अद्भुत शक्तियाँ विकसित होती देखी गई हैं, जबकि उन्होंने कुछ भी साधना नहीं की है। यह उनके पूर्व जन्मों के प्रयासों का प्रतिफल है। ऐसे कितने ही अतींद्रिय क्षमतासंपन्न विवरण उपलब्ध हैं, जिनमें इस जन्म की कोई विशेष साधनाएँ न होते हुए भी उनके अंदर आश्चर्यजनक विशेषताएँ पाई गईं।

हालैंड की यूट्रेक्ट यूनीवर्सिटी के पैरासाइकोलॉजी विभाग के अध्ययन प्रो० विलियम तेनहाफ ने कितने ही अतींद्रिय शक्ति का दावा करने वाले लोगों की जाँच करने की दृष्टि से उनके साथ भेंट की है। उनके शोध संग्रह में कितनी ही प्रमाणों में सबसे अधिक प्रत्यक्ष उदाहरण यूट्रेक्ट नगर के एक सरल-सौम्य नागरिक जेरार्ड क्रोयसेत का है। यह ५६ वर्षीय व्यक्ति अपने बेटे, पोतों के साथ साधारण आजीविका उपार्जन के घरेलू धंधों में लगा रहता है। दिव्यदर्शन उसका न तो व्यवसाय है और न वह इस क्षेत्र में अपनी कोई शोहरत चाहता है, फिर भी उसमें जो जन्मजात उपलब्धि है, वह लोगों को अचंभे में डाल देती है और कौतूहलों की दृष्टि से कितने ही लोग उसके छोटे से घर पर जा पहुँचते हैं और तरह-तरह की पूछ-ताछ करते हैं।

क्रोयसेत की असाधारण क्षमता की ओर इस संदर्भ में दिलचस्पी रखने वाले कितने ही शोधकर्ता उसके पास पहुंचे हैं। उसने सहज स्वभाव से सबका स्वागत किया है और उस जाँच-पड़ताल में पूरा-पूरा सहयोग दिया है। न केवल हालैंड के वरन् आस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड आदि के अतींद्रिय विज्ञान के संबंध में जाँच पड़ताल करने वाले लोग उसके पास पहुंचे हैं। विलियम तेनहाफ ने तो उसके संबंध में क्रमबद्ध खोज की है और उसे सर्वसाधारण की जानकारी के लिए प्रकाशित भी किया है। उस खोज में कुछ घटनाओं को विशेष महत्त्व दिया गया है।

६ जनवरी सन् १९५७ की बात है। यूट्रेक्ट यूनीवर्सिटी में २५ दिन बाद एक लेक्चर होना था। उसके लिए आगंतुकों की सीटें तो जमा दी गई थीं, पर यह मालूम न था कि, कौन दर्शक आएगा और किस स्थान पर बैठेगा ? प्रो० तेनहाफ ने क्रोयसेत को वह लेक्चर हॉल दिखाया और अन्य प्रोफेसरों की उपस्थिति में यह पूछा कि क्या आप बता सकते हैं कि, नौ नंबर की सीट पर
३१ जनवरी की मीटिंग में कौन दर्शक बैठेगा? यह उसके भविष्य ज्ञान संबंधी जानकारी की जाँच के संबंध में पूछा गया था।

क्रोयसेत कुछ देर ध्यान मग्न रहे और फिर बताना शुरू किया कि, दिहेग नगर की रहने वाली एक अधेड़ महिला वहाँ बैठेगी। उसके हाथ की एक उँगली अभी-अभी डिब्बी खोलते समय कट गई है। वह उस पर पट्टी बाँध रही है। यह महिला एक पशु पालक परिवार में जन्मी है। जब वह छोटी थी, तब उसके घर में आग लग गई थी और एक कोठे में बँधे कुछ जानवर जल गये थे....आदि।

यह सारा विवरण नोट कर लिया गया। वह बात गुप्त रखी गई। नियत तारीख को सचमुच ही उसी विवरण के अनुरूप एक दर्शक महिला वहाँ जा बैठी और उससे पीछे पूछ-ताछ की गई, तो उसके संबंध में बताई गई बातें सभी सच निकलीं।

क्रोयसेत ने अपराधियों का और चोरियों का पता लगाने में पुलिस की अच्छी मदद की है। एक बार एक बहुमूल्य हीरों का हार चोरी होने की सूचना पुलिस में दर्ज हुई। क्रोयसेत से पूछा गया, तो उसने बताया कि वह हार चोरी नहीं गया। नाली में गिर पड़ा है और बहते-बहते अमुक स्थान पर जा पहुंचा है। लोग दौड़े और बताए हुए ठीक स्थान पर हार प्राप्त कर लिया गया।

नार्वे की मोयराना बस्ती में जा बसे एक डच नागरिक ने क्रोयसेत से टेलीफोन से पूछा उसकी १५ वर्षीय लड़की जोर्ग हाडखेन अचानक लापता हो गई है, क्या आप उसका कुछ पता बता सकते हैं ? क्रोयसेत ने टेलीफोन पर ही उत्तर दिया कि, वह झरने में डूबी है। लाश को अमुक स्थान पर जाकर निकाल लिया जाए। वह आधी डूबी पड़ी है और आधा भाग ऊपर चमक रहा है। ढूँढ़ने पर ठीक उसी स्थान पर लाश प्राप्त कर ली गई।

लंदन के कुख्यात अपराधी जिंजर मार्क को क्रोयसेत की सहायता से पुलिस ने पकड़ा था। ऐसी-ऐसी अनेकों घटनाएँ हैं, जिनमें उसकी अतींद्रिय शक्ति की यथार्थता का समर्थन किया गया है। उस व्यक्ति को वह क्षमता जन्मजात रूप से प्राप्त है। इसके लिए उसने कोई विशेष साधना आदि नहीं की है। वह भोला व्यक्ति अतींद्रिय शक्ति के सिद्धांतों के बारे में भी अधिक कुछ बता नहीं सकता। केवल जो कुछ वह है, उसे प्रकट करने में बिना संकोच अपने को प्रस्तुत करता रहता है।

अतींद्रिय विज्ञान, एक्स्ट्रासेंसरी, परसेप्शन, द्वितीय दिव्य दृष्टि, सेकेंड साइट, छठी इंद्रियानुभूति, सिक्सथ सेंस के नाम से अतिमानवी चेतना की चर्चा होती रहती है। ऐसे कितने ही मनुष्य देखे जाते हैं, जिनमें इस प्रकार की विलक्षण क्षमताएँ पाई जाती हैं। उनमें अतीत ज्ञान, भविष्य दर्शन, मनः पठन, दूरदर्शन आदि कितनी ही विशेषताएँ ऐसी हैं जो हर किसी में तो नहीं होती, पर किन्हीं विशिष्ट व्यक्तियों में पाई जाती हैं।



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    अनुक्रम

  1. भविष्यवाणियों से सार्थक दिशा बोध
  2. भविष्यवक्ताओं की परंपरा
  3. अतींद्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि व आधार
  4. कल्पनाएँ सजीव सक्रिय
  5. श्रवण और दर्शन की दिव्य शक्तियाँ
  6. अंतर्निहित विभूतियों का आभास-प्रकाश
  7. पूर्वाभास और स्वप्न
  8. पूर्वाभास-संयोग नहीं तथ्य
  9. पूर्वाभास से मार्गदर्शन
  10. भूत और भविष्य - ज्ञात और ज्ञेय
  11. सपनों के झरोखे से
  12. पूर्वाभास और अतींद्रिय दर्शन के वैज्ञानिक आधार
  13. समय फैलता व सिकुड़ता है
  14. समय और चेतना से परे

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