आचार्य श्रीराम शर्मा >> विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँ विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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विवाह दिवसोत्सव कैसे मनाये
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नये समाज का नया निर्माण
हर व्यक्ति एक निर्माता ब्रह्मा है, वह एक नये समाज का सृजन, निर्माण एवंविकास करता है। कहते है कि यह सृष्टि आदम और हब्बा मनु-शतरूपा ने मिलकर बनाई। हर गृहस्थ अपने आप में एक आदम-हबार मनु-शतरूपा बनता है और एक नईसृष्टि का सृजन, पालन एवं विकास करता है। यदि यह उत्तरदायित्व ठीक तरह निबाहा जा सके, तो उससे नये समाज का, नये संसार का निर्माण होगा। हरगृहस्थ अपना दाम्पत्य कर्तव्य, गृहस्थ संचालन ठीक तरह करने लगे तो बीस वर्ष उपरान्त नये युग, नये समाज नये संसार का वातावरण अस्त्रों के सामनेउपस्थित हो सकता है। हर गृहस्थ, एक गुरुकुल है जिसमें जन्मे पले बड़े बालक वैसे ही बनते हैं जैसे कि उस गुरुकुल के संचालक माता-पिता होते हैं। हरगृहस्थ, विशाल मानव समाज की एक सुगठित इकाई है। समाज परिवारों के रूप में ही तो विभक्त है। शासन को जैसे छोटे-छोटे थानों में बाँट दिया जाता है उसीतरह यह विश्व या समाज गृहस्थों के रूप में विभक्त है। इन घटनाओं की जैसी भली-बुरी स्थिति होती है, उसी के अनुरूप समाज बन जाता है। समाज का जैसा भीस्वरूप अभीष्ट हो हमें उसका ढांचा गृहस्थ जीवन में खड़ा करना होगा। राष्ट्र का नया निर्माण गृहस्थ जीवन से ही संभव है। पूरे खेत में एक साथ पानी नहींभरा जा सकता, सिंचाई क्यारियों द्वारा ही होती है। युग का निर्माण, गृहस्थ निर्माण के साथ अविच्छिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।
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- विवाह प्रगति में सहायक
- नये समाज का नया निर्माण
- विकृतियों का समाधान
- क्षोभ को उल्लास में बदलें
- विवाह संस्कार की महत्ता
- मंगल पर्व की जयन्ती
- परम्परा प्रचलन
- संकोच अनावश्यक
- संगठित प्रयास की आवश्यकता
- पाँच विशेष कृत्य
- ग्रन्थि बन्धन
- पाणिग्रहण
- सप्तपदी
- सुमंगली
- व्रत धारण की आवश्यकता
- यह तथ्य ध्यान में रखें
- नया उल्लास, नया आरम्भ