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आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री के दो पुण्य प्रतीक शिखा और यज्ञोपवीत

गायत्री के दो पुण्य प्रतीक शिखा और यज्ञोपवीत

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :47
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 4239
आईएसबीएन :0000

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गायत्री के दो पुण्य प्रतीक...

Gayatri Ke Do Prateek Shikha Aur Ygyopavit

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


यज्ञोपवीत और शिखा हिन्दू भारतीय संस्कृति के दो प्रतीक हैं। इन्हें भारतीय संस्कृति की जननी गायत्री की मूर्तिमान प्रतिमा तथा धर्मध्वजा भी कहा जा सकता है यज्ञोपवीत को गायत्री की मूर्ति-एक प्रतिमा कहना चाहिए, अन्य देवी-देवता तो ऐसे हैं जिनका प्रतिमान दर्शन कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है, पर गायत्री को भारतीय धर्मानुयायी के जीवन में इतना महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है कि इसकी प्रतिमा को हर घड़ी छाती से लगाये रखना, ह्रदय पर धारण किये रहना आवश्यक है। इसका अर्थ है कि गायत्री की ऋतम्भरा प्रज्ञा को अपने जीवन, कर्म, व्यक्तित्व की अधिष्ठात्री घोषित करना।

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