आचार्य श्रीराम शर्मा >> आध्यात्मिक काम विज्ञान आध्यात्मिक काम विज्ञानश्रीराम शर्मा आचार्य
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आध्यात्मिक काम विज्ञान
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘नर और नारी के बीच पाये जाने वाले प्राण और रयि-अग्नि और सोम, स्वाहा और स्वधा तत्त्वों का महत्व, सामान्य नहीं असामान्य है। सृजन और उद्भव की-उत्कर्ष और आह्लाद की असीम सँभावनाएँ उसमें भरी पड़ी हैं, प्रज्ञा उत्पादन तो उस मिलन का बहुत ही सूक्ष्म या स्थूल और अति तुच्छ परिणाम है। इस सृष्टि के मूल कारण और चेतना के आदि स्रोत इन द्विधा संस्कऱण और संचरण का ठीक तरह मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इस तथ्या पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि, इनका सदुपयोग किस प्रकार विश्व कल्याण की सर्वतोमुखी प्रगति में सहायक हो सकता है और इसका दुरुपयोग मानवजाति के शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार क्षीण-विकृत करके, विनाश के गर्त में धकेलने के लिए दुर्दांत दैत्य की तरह सर्वग्रासी संकट उत्पन्न कर सकता है, कर रहा है।’
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