आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
‘परमार्थ आपका लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि स्वार्थ का सबसे सुंदर वैज्ञानिक विधान परमार्थ है। दूसरों का लाभ सोचने से बढ़कर अपना लाभ और किसी बात में नहीं है। इसलिए परमार्थ पर श्रद्धा रखिए। अपनी पवित्रता पर श्रद्धा रखिए। ऐसे विश्वास और सिद्धांतों को अपनाइए, जिनसे लोककल्याण की दिशा में प्रगति होती हो। उन विश्वासों और सिद्धांतों को हृदय के भीतरी कोने में गहराई तक उतार लीजिए। इतनी दृढ़ता जमा लीजिए कि भ्रष्टाचार और प्रलोभन सामने उपस्थित होने पर भी आप उन पर दृढ़ रहे, परीक्षा देने एवं त्याग करने का अवसर आये तब भी विचलित न हों। वे विश्वास, श्रद्धास्पद होने चाहिये, प्राणों से अधिक प्यारे होने चाहिये।
प्राण रक्षा के लिए हर संभव उपाय को काम में लाया जाता है, आप अपनी श्रद्धायुक्त मान्यताओं की रक्षा के निमित्त बड़े से बड़ा जोखिम उठाने के लिए तत्पर हो जाइए।
अध्यात्मवाद कहता है कि आप अपनी मनोभूमि की रचना ऐसी कीजिए, जिसमें कोई विश्वास बोये जायें तो दृढ़तापूर्वक खड़े रहें। तर्क द्वारा भले-बुरे की पहचान किया कीजिए, असत्य के अंधेरे में सत्य को ढूंढ निकालने का प्रयत्न किया कीजिये; परंतु मानव तत्त्व के मूलभूत सिद्धांत पर तर्क का कुल्हाड़ा मत चलाया कीजिए। बूढे माता-पिता की सेवा में पैसा खर्च करने से क्या लाभ? स्त्री को जेवर क्यों न बनवा दूँ? जिससे वह मेरी अधिक सेवा करे तर्क की दृष्टि से यही मानना पड़ेगा कि बूढ़े माता-पिता को एक कोने में पड़े रहना दिया जाए और स्त्री को जेवर बनवाये जाएँ, आज का प्रत्यक्ष लाभ इसी में है। यदि अपने जीवन निर्माण में भी तर्क पर अवलंबन किया तो सारी सात्त्विकता और महानता नष्ट हो जायेगी, मानव में पशुता से अधिक और कुछ शेष न रहेगा। अंतःकरण के उच्च दैवी गुण भले ही तर्क की तराजू में हलके बैठते हों, पर आप उन्हें छोड़िये मत। श्रद्धा द्वारा उनकी रक्षा कीजिए और आग्रहपूर्वक उन पर दृढ़ रहिये।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न