आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
इस संसार में मानवजीवन से अधिक श्रेष्ठ अन्य कोई उपलब्धि नहीं मानी गई है। एकमात्र मानवजीवन ही वह अवसर है, जिसमें मनुष्य जो भी चाहे प्राप्त कर सकता है। इसका सदुपयोग मनुष्य को कल्पवृक्ष की भाँति फलीभूत होता है।
जो मनुष्य इस सुरदुर्लभ मानवजीवन को पाकर उसे सुचारु रूप से संचालित करने की कला नहीं जानता है, अथवा उसे जानने में प्रमाद करता है, तो यह उसका एक बड़ा दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। मानव जीवन वह पवित्र क्षेत्र है, जिसमें परमात्मा ने सारी विभूतियाँ बीज रूप में रख दी हैं, जिनका विकास नर को नारायण बना देता है। किंतु इन विभूतियों का विकास होता तभी है, जब जीवन का व्यवस्थित रूप से संचालन किया जाए। अन्यथा अव्यवस्थित जीवन, जीवन का ऐसा दुरुपयोग है, जो विभूतियों के स्थान पर दरिद्रता की वृद्धि कर देता है।
जीवन को व्यवस्थित रूप से चलाने की एक वैज्ञानिक पद्धति है। उसे अपनाकर चलने पर ही इसमें वांछित फलों की उपलब्धि की जा सकती है। अन्यथा इसकी भी वही गति होती है, जो अन्य पशु-प्राणियों की होती है। जीवन को सुचारु रूप से चलाने की वह वैज्ञानिक पद्धति एकमात्र अध्यात्म ही है, जिसे जीवन जीने की कला भी कहा जा सकता है। इस सर्वश्रेष्ठ कला को जाने बिना जो मनुष्य जीवन को अस्त-व्यस्त ढंग से बिताता रहता है, उसे उनमें से कोई भी ऐश्वर्य उपलब्ध नहीं हो सकता, जो लोक से लेकर परलोक तक फैले पड़े हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, जिनके अंतर्गत आदि से अंत तक की सारी सफलतायें सन्निहित हैं, इसी जीवन कला के आधार पर ही तो मिलते हैं।
सामान्य लोगों के बीच प्रायः यह भ्रम फैला हुआ है कि अध्यात्मवादी का लौकिक जीवन से कोई संबंध नहीं है। वह तो योगी, तपस्वियों का क्षेत्र है, जो जीवन में दैवी वरदान प्राप्त करना चाहते हैं। जो सांसारिक जीवनयापन करना चाहते हैं, घर-बार बसाकर रहना चाहते हैं, उनसे अध्यात्म का संबंध नहीं। इसी भ्रम के कारण बहुत-से गृहस्थ भी, जो दैवी वरदान की लालसा के फेर में पड़ जाते हैं, अध्यात्म मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं। किंतु अध्यात्म का सही अर्थ न जानने के कारण थोड़ा-सा पूजा-पाठ कर लेने को ही अध्यात्म मान लेते हैं।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न