आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
सती मदालसा ने अपने बच्चों को बड़ा मार्मिक उपदेश दिया है-
शुद्धोऽसि, बुद्धोऽसि, निरञ्जनोऽसि
संसार माया परिवर्जितोऽसि।
संसार स्वप्नं त्याग मोह निद्रां
मदालसा वाक्यमुवाच पुत्रम्।।
"हे पुत्र, तू मेरे वचन को सुन–तुम स्वरूप से शुद्ध, बुद्ध मुक्त हो। इस मायामय संसार के साथ गठबंधन से तुम्हारा कोई संबंध नहीं है। यह दिखाई देने वाला संसार स्वप्नमात्र है, इसलिए मोह रूपी निद्रा का परित्याग कर अपने शाश्वत स्वरूप को पहचानने का प्रयत्न करो।"
वास्तव में यह उपदेश हममें से प्रत्येक के लिए सारपूर्ण है, हम जब तक अपने आपको नहीं पहचानते तब तक इस मनुष्य शरीर का कुछ उपयोग नहीं है। इसलिए उचित है कि विषय-विकारों का परित्याग कर पारलौकिक जीवन की शोध की ओर उन्मुख हों।
परिवर्तन हमारे देखने में न आते हों ऐसा तो नहीं है, किंतु दुःख है कि उन पर विचार नहीं किया जाता। शरीर की तीन अवस्थायें जन्म, वृद्ध और मरण के अनेकानेक दृश्य प्रत्येक को देखने को मिलते हैं। यह भी सभी जानते हैं कि मृत्यु के मुख से कोई बचता नहीं, फिर भी पारलौकिक जीवन की ओर हममें से बहुत थोड़े ही उन्मुख होते हैं। अधिकांश लोग काम, क्रोध, मोह और शोक के पीछे अंत तक भटकते रहते हैं, परिणामस्वरूप जीवात्मा को मृत्यु के अनंतर यहाँ भटकते रहना पड़ता है। उससे बड़ी अशांति व असंतोष होता है, पर तब तक मानव जीवन का अलभ्य अवसर हाथ से निकल गया होता है। अतः केवल पश्चात्ताप ही शेष रहता है।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न