उपन्यास >> सुरंग में सुबह सुरंग में सुबहमिथिलेश्वर
|
8 पाठकों को प्रिय 301 पाठक हैं |
देश-विदेश में प्रख्यात लेखक मिथिलेश्वर का पहला राजनीतिक उपन्यास।
Surang me Subah - A Hindi Book by - Mithileshwar सुरंग में सुबह - मिथिलेश्वर
‘सुरंग में सुबह’ मिथिलेश्वर का पहला राजनीतिक उपन्यास है। यह प्रभु वर्ग के राजनीतिक पाखण्ड तथा निम्न वर्ग के अन्ध विश्वास से एकसाथ जूझता है।
हम जानते हैं कि समकालीन राजनीति में शैक्ष के द्वारा सफलता पाने की संस्कृति का वीभत्स विकास हुआ है। प्रस्तुत उपन्यास में सर्वोच्च पद पाने के लिए जिन अनैतिक माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है, वह दहला देता है। और भारतीय राजनीति के विकृत चरित्र को उघाड़ देता है। वस्तुतः इस उपन्यास में मिथिलेश्वर जहाँ भारतीय राजनीति के तलघर की यात्रा करते हैं वहीं सामाजिक बदलाव के लिए छटपटाते सामान्य जनता की आकांक्षओं, उम्मीदों और अन्तर्विरोधों को भी सफलतापूर्वक प्रस्तुत करते हैं।
राजनीति के सच को प्रस्तुत करती एक पठनीय कृति।
अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुस्कार, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, यशपाल पुरस्कार, अमृत पुरस्कार तथा साहित्य मार्तण्ड सम्मान से सम्मानित मिथिलेश्वर का पहला राजनीतिक उपन्यास।
हम जानते हैं कि समकालीन राजनीति में शैक्ष के द्वारा सफलता पाने की संस्कृति का वीभत्स विकास हुआ है। प्रस्तुत उपन्यास में सर्वोच्च पद पाने के लिए जिन अनैतिक माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है, वह दहला देता है। और भारतीय राजनीति के विकृत चरित्र को उघाड़ देता है। वस्तुतः इस उपन्यास में मिथिलेश्वर जहाँ भारतीय राजनीति के तलघर की यात्रा करते हैं वहीं सामाजिक बदलाव के लिए छटपटाते सामान्य जनता की आकांक्षओं, उम्मीदों और अन्तर्विरोधों को भी सफलतापूर्वक प्रस्तुत करते हैं।
राजनीति के सच को प्रस्तुत करती एक पठनीय कृति।
अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुस्कार, सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, यशपाल पुरस्कार, अमृत पुरस्कार तथा साहित्य मार्तण्ड सम्मान से सम्मानित मिथिलेश्वर का पहला राजनीतिक उपन्यास।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book