लोगों की राय

नेहरू बाल पुस्तकालय >> www.घना जंगल.कॉम

www.घना जंगल.कॉम

हरिकृष्ण देवसरे

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4409
आईएसबीएन :8-237-4642-3

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

126 पाठक हैं

इसमें घना जंगल की कहानियों का उल्लेख किया गया है।

www.Ghana Jungal.Com-A Hindi Book by Harikrishna Devsare

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

www.घना जंगल.कॉम

‘घना जंगल’ अपने घनेपन के लिए मशहूर था। इस जंगल में शिकारी भी जाने से डरते थे क्योंकि जंगल के रास्ते तो एकदम भूल-भुलैया थे। बरसों पहले कुछ शिकारियों ने घना जंगल में जाने की कोशिश की थी। लेकिन वे लौटकर नहीं आये। लोगों ने तो इस जंगल के बारे में तरह-तरह की कहानियाँ गढ़ ली थीं। वन विभाग के लोगों का कहना था कि जंगल इतना घना है कि रास्ता भूलने का डर रहता है। फिर कब किस पेड़ की डाल पर बैठा चीता हमला कर दे ? या कब तेंदुआ गर्दन पकड़ ले ? या कब अचानक भालू सामने आ जाये ? वन विभाग ने जो कुछ सड़कें बनाई थीं, उन पर होकर लकड़ी ढोने वाले ट्रक आते-जाते थे। पर जब से घना जंगल पर जंगल माफिया जग्गन का आतंक फैला, ठेकेदारों के लिए लकड़ी के ट्रक भरकर ले जाना आसान नहीं रहा। जग्गन के आदमी हर ठेकेदार से अपनी अलग से वसूली करने लगे थे।

घना जंगल में पिछले दिनों एक विचित्र घटना हुई। बंदर बिहारी काफी दिनों से गायब था। जब अचानक दिखा तो जंगल के जानवरों ने उससे गायब होने का कारण पूछा। उसने बताया कि वह पास के शहर में कम्प्यूटर सीखने गया था। उसने अब एक ‘बेवसाइट’ भी खोल ली है। फिर वह सबको उस गुफा में ले गया जहां उसने अपना कम्प्यूटर आदि रखा था। जंगल के राजा शेर ने पूछा, ‘‘बिहारी ! इससे जंगल के जानवरों को क्या फायदा होगा ?’’

बिहारी बोला, ‘‘हुजूर ! यह नयी दुनिया का चमत्कार है। आज कल कम्प्यूटर के जरिए सारी दुनिया आपस में जुड़ रही है। लोगों को हमारे घना जंगल के रहस्यों का पता नहीं है। कौन-कौन से जानवर हैं, कितने हैं, उनके रहने-सहने का ढंग क्या है ? ये सब बातें मेरी बेवसाइट से दुनिया को पता चलेंगी। हमारे घना जंगल का नाम पूरी दुनिया में होगा।’’

प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book