पाठ्य पुस्तकें >> राष्ट्रभाषा भारती कक्षा 6 राष्ट्रभाषा भारती कक्षा 6गंगादत्त शर्मा
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कक्षा-6 के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी भाषी पुस्तक...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सामान्यत: शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में और विशेषकर भाषा-शिक्षण के
क्षेत्र में आ रहे नवीनतम् परिवर्तनों के अनुरूप शिक्षण सामग्री का
निर्माण आज शिक्षा जगत् की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है। ‘राष्ट्रभाषा-भारती’ नाम से प्रकाशित यह
पुस्तकमाला एक
ओर जहाँ नवीनतम शिक्षण विधियों और सामाजिक अपेक्षाओं के अनुरूप एक उपयोगी
तथा प्रभावी उपकरण के रूप में उभरकर आई है, वहीं इसके निर्माण में
शिक्षार्थियों की रुचि, क्षमता और मानसिक स्तर का भी पूर्ण ध्यान रखा गया
है।
प्राथमिक कक्षाओं की अपेक्षा माध्यमिक कक्षाओं में भाषा और शिक्षण अधिगम के उद्देश्य अधिक स्पष्ट और व्यापक हो जाते हैं। किशोरावस्था के विद्यार्थियों के अनुभव जगत और तार्किकता में पर्याप्त विस्तार हो चुका होता है। वे अपने परिवेश और समाज को अधिक विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखने लगते हैं। संवेदना, सहयोग, क्रियाशीलता, वैज्ञानिक, दृष्टिकोण, देशभक्ति, सच्चरित्रता जैसे गुणों की जानकारी देने और उन्हें इन गुणों की ओर प्रेरित करने का भी यही समय होता है। इसलिए माध्यमिक कक्षाओं के लिए राष्ट्रभाषा-भारती की पाठ्य सामग्री का निर्माण करते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि सामग्री मात्र सूचनात्मक न हो, समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप भावी पीढी को सक्षम बनाने में भी समर्थ हो। दूसरी ओर विद्यार्थियों को प्रमुख साहित्यिक विधाओं से भी परिचित कराने का प्रयास किया गया है। क्योंकि माध्यमिक कक्षाओं तक आते-आते उन्हें इस योग्य बन जाना चाहिए कि वे सृजनात्मक साहित्य की सराहना कर सकें। इसलिए विविध प्रकार के निबंध, यात्रा-वृत्तांत, संस्मरण, पत्र, कथा, एकांकी और कविताओं को सँजोया गया है।
छठी कक्षा के लिए सामग्री मुख्य रूप से सत्य प्रियता, कठिन श्रम, आत्म निर्भरता, राष्ट्रीय एकता, देश प्रेम, सर्वधर्म समभाव, लोकोपकार, जनसंख्या-समस्या जैसे विषयों पर आधारित हैं। निज़ामुद्दीन औलिया, गुरु नानकदेव, झाँसी की रानी, विवेकानंद आदि की प्रेरक जीवनियाँ हैं। विद्यार्थियों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के लिए महाभारत का एक महत्त्वपूर्ण प्रसंग है और भक्त कवि रसखान के कृष्ण-प्रेम को झलकाने वाले कुछ सवैए दिए गए हैं। वैज्ञानिक चिंतन (कंप्यूटर), यात्रा (नार्वे से पत्र), जनतंत्र की शिक्षा (निराली दीपावली) आदि भी महत्त्वपूर्ण विषय हैं। कविता का स्वर विविध आयामी है।
पाठांत अभ्यासों, गद्य-पाठों के साथ भाषा अधिगम के अभ्यास हिन्दी की संरचना को स्पष्ट करने के लिए बहुत उपयोगी होंगे। ये सहप्रयुक्त व्याकरण का स्पष्टीकरण करने में और भाषा की गुत्थियों को सुलझाकर विद्यार्थियों की रुचि बढ़ाने में उपयोगी होंगे। संपूर्ण पुस्तकमाला की रणनीति यह रही है कि शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में पूरी कक्षा की भागीदारी हो, मात्र शिक्षक की नहीं। इसलिए पाठांत अभ्यासों में और अभ्यास पुस्तिकाओं में ऐसे प्रश्न रखे गए हैं जो समूह की भागीदारी को सुनिश्चित करें। भाषा के चारों कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना- का समन्वित विकास। सभी भाषिक कौशलों के अभ्यास के लिए शिक्षक की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है और सतत् प्रक्रिया भी है। पाठ्यपुस्तक शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के हाथों में एक साझे उपकरण के समान होती है जिसका उपयोग भी साझे रूप में ही हो सकता है। सभी पुस्तकों का प्रणयन शिक्षा जगत के प्रख्यात विशेषज्ञों तथा अनुभवी और कर्मठ शिक्षकों के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। पुस्तक माला के लेखक और मानद परामर्शदाता भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अधुनातन प्रवृत्तियों के जानकार हैं और शिक्षण तथा सामग्री-निर्माण में उनका सुदीर्घ अनुभव रहा है।
शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अनेक संस्थाओं और संगठनों के शिक्षाविदों तथा ऐसी अनेक संस्थाओं के जुड़े प्रबुद्ध शिक्षकों ने भी प्रस्तुत सामग्री पर अपनी समालोचनात्मक सम्मति प्रदान की है। हम उन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम उन लेखकों और रचनाकारों के भी आभारी हैं जिनकी समर्थ रचनाएँ पाठों में आधार सामग्री के रूप में ली गई हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान का प्रकाश देने का माध्यम बनी हैं।
प्राथमिक कक्षाओं की अपेक्षा माध्यमिक कक्षाओं में भाषा और शिक्षण अधिगम के उद्देश्य अधिक स्पष्ट और व्यापक हो जाते हैं। किशोरावस्था के विद्यार्थियों के अनुभव जगत और तार्किकता में पर्याप्त विस्तार हो चुका होता है। वे अपने परिवेश और समाज को अधिक विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखने लगते हैं। संवेदना, सहयोग, क्रियाशीलता, वैज्ञानिक, दृष्टिकोण, देशभक्ति, सच्चरित्रता जैसे गुणों की जानकारी देने और उन्हें इन गुणों की ओर प्रेरित करने का भी यही समय होता है। इसलिए माध्यमिक कक्षाओं के लिए राष्ट्रभाषा-भारती की पाठ्य सामग्री का निर्माण करते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि सामग्री मात्र सूचनात्मक न हो, समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप भावी पीढी को सक्षम बनाने में भी समर्थ हो। दूसरी ओर विद्यार्थियों को प्रमुख साहित्यिक विधाओं से भी परिचित कराने का प्रयास किया गया है। क्योंकि माध्यमिक कक्षाओं तक आते-आते उन्हें इस योग्य बन जाना चाहिए कि वे सृजनात्मक साहित्य की सराहना कर सकें। इसलिए विविध प्रकार के निबंध, यात्रा-वृत्तांत, संस्मरण, पत्र, कथा, एकांकी और कविताओं को सँजोया गया है।
छठी कक्षा के लिए सामग्री मुख्य रूप से सत्य प्रियता, कठिन श्रम, आत्म निर्भरता, राष्ट्रीय एकता, देश प्रेम, सर्वधर्म समभाव, लोकोपकार, जनसंख्या-समस्या जैसे विषयों पर आधारित हैं। निज़ामुद्दीन औलिया, गुरु नानकदेव, झाँसी की रानी, विवेकानंद आदि की प्रेरक जीवनियाँ हैं। विद्यार्थियों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के लिए महाभारत का एक महत्त्वपूर्ण प्रसंग है और भक्त कवि रसखान के कृष्ण-प्रेम को झलकाने वाले कुछ सवैए दिए गए हैं। वैज्ञानिक चिंतन (कंप्यूटर), यात्रा (नार्वे से पत्र), जनतंत्र की शिक्षा (निराली दीपावली) आदि भी महत्त्वपूर्ण विषय हैं। कविता का स्वर विविध आयामी है।
पाठांत अभ्यासों, गद्य-पाठों के साथ भाषा अधिगम के अभ्यास हिन्दी की संरचना को स्पष्ट करने के लिए बहुत उपयोगी होंगे। ये सहप्रयुक्त व्याकरण का स्पष्टीकरण करने में और भाषा की गुत्थियों को सुलझाकर विद्यार्थियों की रुचि बढ़ाने में उपयोगी होंगे। संपूर्ण पुस्तकमाला की रणनीति यह रही है कि शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में पूरी कक्षा की भागीदारी हो, मात्र शिक्षक की नहीं। इसलिए पाठांत अभ्यासों में और अभ्यास पुस्तिकाओं में ऐसे प्रश्न रखे गए हैं जो समूह की भागीदारी को सुनिश्चित करें। भाषा के चारों कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना- का समन्वित विकास। सभी भाषिक कौशलों के अभ्यास के लिए शिक्षक की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है और सतत् प्रक्रिया भी है। पाठ्यपुस्तक शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के हाथों में एक साझे उपकरण के समान होती है जिसका उपयोग भी साझे रूप में ही हो सकता है। सभी पुस्तकों का प्रणयन शिक्षा जगत के प्रख्यात विशेषज्ञों तथा अनुभवी और कर्मठ शिक्षकों के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। पुस्तक माला के लेखक और मानद परामर्शदाता भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अधुनातन प्रवृत्तियों के जानकार हैं और शिक्षण तथा सामग्री-निर्माण में उनका सुदीर्घ अनुभव रहा है।
शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अनेक संस्थाओं और संगठनों के शिक्षाविदों तथा ऐसी अनेक संस्थाओं के जुड़े प्रबुद्ध शिक्षकों ने भी प्रस्तुत सामग्री पर अपनी समालोचनात्मक सम्मति प्रदान की है। हम उन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम उन लेखकों और रचनाकारों के भी आभारी हैं जिनकी समर्थ रचनाएँ पाठों में आधार सामग्री के रूप में ली गई हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान का प्रकाश देने का माध्यम बनी हैं।
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