पाठ्य पुस्तकें >> राष्ट्रभाषा भारती कक्षा 4 राष्ट्रभाषा भारती कक्षा 4गंगादत्त शर्मा
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कक्षा-4 के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी भाषी पुस्तक....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सामान्यत: शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में आ रहे नवीनतम् परिवर्तनों के
अनुरूप शिक्षण सामग्री का निर्माण आज शिक्षा जगत् की महत्त्वपूर्ण
आवश्यकता बन गया है। ‘राष्ट्रभाषा-भारती’ नाम से
प्रकाशित
यह पुस्तकमाला एक ओर जहाँ नवीनतम शिक्षण विधियों और सामाजिक
अपेक्षाओं के अनुरूप एक उपयोगी तथा प्रभावी उपकरण के रूप में उभरकर आई है,
वहीं इसके निर्माण शिक्षार्थियों की रुचि, क्षमता और मानसिक स्तर का भी
पूर्ण ध्यान रखा गया है।
प्रस्तुत पुस्तक माला में पूर्व प्राथमिक से लेकर आठवीं तक सभी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तकें तथा विनिर्दिष्ट पाठ्य पुस्तक के अधिगम, पुनरीक्षण, आवृत्ति, पुनर्बलन के लिए अभ्यास पुस्तिका तैयार की गई हैं। जहाँ तक चर्चित विषयों का प्रश्न है, इनमें विविध उपयोगी विषयों से परिचय कराया गया है- शिक्षार्थी के अपने परिवेश, परिवार, मित्र, विद्यालय, समाज से लेकर यात्रा, शौक, आदर्श, चुनौतियाँ, मनोरंजन और मानव मूल्य आदि तक। इन विषयों को कविता, गीत, लेख, विवरण, कहानी, बोध कथा, लोक कथा आदि विधाओं के द्वारा समझाया गया है। रोचकता सभी विधाओं की मूल अभिप्रेरक रही है।
चौथे भाग का प्रारम्भ भारत देश की वंदना से होता है और समापन भारतीयता के प्रति स्वाभिमान की भावना से । सभी कविताएँ बालकों की कल्पना-प्रवणता को विकसित करने में सहायक होंगी। दो कविताएँ पर्यावरण के प्रति जागरूकता जगाने का प्रयास कर रही है और दो कष्ट-सहन, साहस, निडरता जैसे गुणों के संचार का। चेतक कविता के साथ भारतीय इतिहास के जुझारू वीर प्रताप की कथा जुड़ी है।
गद्य पाठ अनेक विधाओं में है जिनमें कथा-कहानियाँ अधिक हैं। खेल, विज्ञान, स्वास्थ्य, मानव जीवन, संघर्ष स्वावलंबन जैसे विविध उपयोगी विषयों पर आधारित पाठों में रोचक जानकारी और कुछ करने और बनने की प्रेरणा छिपी है। उदात्त मानव मूल्यों को सहज और ग्राह्य बनाकर प्रस्तुत किया गया है। दृश्य जगत की सामान्य जिज्ञासा को आधार बनाकर वैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत किए गए हैं।
संपूर्ण पुस्तकमाला की रणनीति यह रही है कि शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में पूरी कक्षा की भागीदारी हो, मात्र शिक्षक की नहीं। इसलिए पाठांत अभ्यासों में और अभ्यास पुस्तिकाओं में ऐसे प्रश्न रखे गए हैं जो समूह की भागीदारी को सुनिश्चित करें। भाषा के चारों कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना के अभ्यास के लिए शिक्षक की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है और सतत् प्रक्रिया भी है। पाठ्यपुस्तक शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के हाथों में एक साझे उपकरण के समान होती है जिसका उपयोग भी साझे रूप में ही हो सकता है। सभी पुस्तकों का प्रणयन शिक्षा जगत के प्रख्यात विशेषज्ञों तथा अनुभवी और कर्मठ शिक्षकों के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। पुस्तक माला के लेखक और मानद परामर्शदाता भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अधुनातन प्रवृत्तियों के जानकार हैं और शिक्षण तथा सामग्री-निर्माण में उनका सुदीर्घ अनुभव रहा है।
शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अनेक संस्थाओं और संगठनों के शिक्षाविदों तथा ऐसी अनेक संस्थाओं के जुड़े प्रबुद्ध शिक्षकों ने भी प्रस्तुत सामग्री पर अपनी समालोचनात्मक सम्मति प्रदान की है। हम उन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम उन लेखकों और रचनाकारों के भी आभारी हैं जिनकी समर्थ रचनाएँ पाठों में आधार सामग्री के रूप में ली गई हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान का प्रकाश देने का माध्यम बनी हैं।
प्रस्तुत पुस्तक माला में पूर्व प्राथमिक से लेकर आठवीं तक सभी कक्षाओं के लिए पाठ्य पुस्तकें तथा विनिर्दिष्ट पाठ्य पुस्तक के अधिगम, पुनरीक्षण, आवृत्ति, पुनर्बलन के लिए अभ्यास पुस्तिका तैयार की गई हैं। जहाँ तक चर्चित विषयों का प्रश्न है, इनमें विविध उपयोगी विषयों से परिचय कराया गया है- शिक्षार्थी के अपने परिवेश, परिवार, मित्र, विद्यालय, समाज से लेकर यात्रा, शौक, आदर्श, चुनौतियाँ, मनोरंजन और मानव मूल्य आदि तक। इन विषयों को कविता, गीत, लेख, विवरण, कहानी, बोध कथा, लोक कथा आदि विधाओं के द्वारा समझाया गया है। रोचकता सभी विधाओं की मूल अभिप्रेरक रही है।
चौथे भाग का प्रारम्भ भारत देश की वंदना से होता है और समापन भारतीयता के प्रति स्वाभिमान की भावना से । सभी कविताएँ बालकों की कल्पना-प्रवणता को विकसित करने में सहायक होंगी। दो कविताएँ पर्यावरण के प्रति जागरूकता जगाने का प्रयास कर रही है और दो कष्ट-सहन, साहस, निडरता जैसे गुणों के संचार का। चेतक कविता के साथ भारतीय इतिहास के जुझारू वीर प्रताप की कथा जुड़ी है।
गद्य पाठ अनेक विधाओं में है जिनमें कथा-कहानियाँ अधिक हैं। खेल, विज्ञान, स्वास्थ्य, मानव जीवन, संघर्ष स्वावलंबन जैसे विविध उपयोगी विषयों पर आधारित पाठों में रोचक जानकारी और कुछ करने और बनने की प्रेरणा छिपी है। उदात्त मानव मूल्यों को सहज और ग्राह्य बनाकर प्रस्तुत किया गया है। दृश्य जगत की सामान्य जिज्ञासा को आधार बनाकर वैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत किए गए हैं।
संपूर्ण पुस्तकमाला की रणनीति यह रही है कि शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया में पूरी कक्षा की भागीदारी हो, मात्र शिक्षक की नहीं। इसलिए पाठांत अभ्यासों में और अभ्यास पुस्तिकाओं में ऐसे प्रश्न रखे गए हैं जो समूह की भागीदारी को सुनिश्चित करें। भाषा के चारों कौशलों-सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना के अभ्यास के लिए शिक्षक की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है और सतत् प्रक्रिया भी है। पाठ्यपुस्तक शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों के हाथों में एक साझे उपकरण के समान होती है जिसका उपयोग भी साझे रूप में ही हो सकता है। सभी पुस्तकों का प्रणयन शिक्षा जगत के प्रख्यात विशेषज्ञों तथा अनुभवी और कर्मठ शिक्षकों के समन्वित प्रयास से संभव हो सका है। पुस्तक माला के लेखक और मानद परामर्शदाता भाषा शिक्षण के क्षेत्र में अधुनातन प्रवृत्तियों के जानकार हैं और शिक्षण तथा सामग्री-निर्माण में उनका सुदीर्घ अनुभव रहा है।
शिक्षा और शिक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही अनेक संस्थाओं और संगठनों के शिक्षाविदों तथा ऐसी अनेक संस्थाओं के जुड़े प्रबुद्ध शिक्षकों ने भी प्रस्तुत सामग्री पर अपनी समालोचनात्मक सम्मति प्रदान की है। हम उन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम उन लेखकों और रचनाकारों के भी आभारी हैं जिनकी समर्थ रचनाएँ पाठों में आधार सामग्री के रूप में ली गई हैं और नई पीढ़ी को ज्ञान का प्रकाश देने का माध्यम बनी हैं।
लेखक और संपादक
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