मनोरंजक कथाएँ >> नटखट पूसी नटखट पूसीरमेश भाई
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नटखट पूसी की कहानी रमेश भाई के द्वारा प्रस्तुत है....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
नटखट पूसी
एक नटखट पूसी थी। वह बड़ी चटोरी थी। कभी दूध पी जाती। कभी मलाई खा जाती।
पूसी कबूतरों को पकड़ती थी। चूहे उसे देखते ही भागते थे। बत्तख शोर मचाती थी। सारे पक्षी पूसी से डरते थे। वह उसे कोसते थे।
एक रात की बात है। जब सब सो रहे थे, पूसी एक मछेरे के घर में गई, मछेरा सो रहा था। सिरहाने नाँद धरी थी। नाँद में मछलियाँ भरी थीं। मछलियों को देखते ही, पूसी के मुँह में पानी भर आया। वह झपटी, और मछलियाँ खाने लगी।
खाने की आहट हुई। आहट सुनकर मछेरा जागा। मछेरा खाट से उठा, और उसने दीया जलाया।
पूसी को मछलियाँ खाते देखा तो लाठी उठाकर मारने दौड़ा। पूसी ने लाठी को देखा तो वह मछली मुँह में दबाकर भागी।
वह मछली बड़ी थी। उसका काँटा भी बड़ा था। काँटा पूसी के गले में अटक गया। पूसी तालाब पर गई। पूसी ने पानी पिया। पर वह काँटा अपनी जगह से न हिला। पूसी रोने लगी।
पूसी के रोने की आवाज गाय ने सुनी। वह दौड़ी हुई पूसी के पास आई। पूसी ने रोते हुए अपना गला दिखाया।
गाय गले का काँटा देखकर बोली, ‘‘पूसी बहन ! तुम बगुले के पास जाओ। वह शायद तुम्हारा काँटा निकाल दे।’’
पूसी कबूतरों को पकड़ती थी। चूहे उसे देखते ही भागते थे। बत्तख शोर मचाती थी। सारे पक्षी पूसी से डरते थे। वह उसे कोसते थे।
एक रात की बात है। जब सब सो रहे थे, पूसी एक मछेरे के घर में गई, मछेरा सो रहा था। सिरहाने नाँद धरी थी। नाँद में मछलियाँ भरी थीं। मछलियों को देखते ही, पूसी के मुँह में पानी भर आया। वह झपटी, और मछलियाँ खाने लगी।
खाने की आहट हुई। आहट सुनकर मछेरा जागा। मछेरा खाट से उठा, और उसने दीया जलाया।
पूसी को मछलियाँ खाते देखा तो लाठी उठाकर मारने दौड़ा। पूसी ने लाठी को देखा तो वह मछली मुँह में दबाकर भागी।
वह मछली बड़ी थी। उसका काँटा भी बड़ा था। काँटा पूसी के गले में अटक गया। पूसी तालाब पर गई। पूसी ने पानी पिया। पर वह काँटा अपनी जगह से न हिला। पूसी रोने लगी।
पूसी के रोने की आवाज गाय ने सुनी। वह दौड़ी हुई पूसी के पास आई। पूसी ने रोते हुए अपना गला दिखाया।
गाय गले का काँटा देखकर बोली, ‘‘पूसी बहन ! तुम बगुले के पास जाओ। वह शायद तुम्हारा काँटा निकाल दे।’’
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