लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> सच्चा पाठ

सच्चा पाठ

दिनेश चमोला

प्रकाशक : सावित्री प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4482
आईएसबीएन :0000

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

284 पाठक हैं

इसमें सच्ची शिक्षा देने वाली कहानी का वर्णन किया गया है।

Sachcha Paath A Hindi Book DR.Dinesh Chamola

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

एक बकरी

एक था भोला भाला बीरू। उसके गाँव का नाम था अंगदपुर। वह जितना ईमानदार था उतना ही सच्चा भी। उसके पिता वर्षों पहले स्वर्ग सिधार गए थे। माँ मेहनत-मजदूरी कर जीवन के दिन यापन करती।

उसके पिता लकड़हारे का कार्य करते थे। लेकिन बेचारी माँ शरीर से अत्यन्त दुर्बल होने के कारण इस व्यवसाय को चलता न रख सकी। वैसे वह चाहती थी कि वह भी बीरू के पिता का व्यवसाय अपना कर जीवन की गुजर-बसर करे। उसमें ऐसी वरकत थी जो वीरू की माँ को दूसरी जगह नहीं दिखती थी।

लेकिन असमर्थता के कारण उसने गाँव का चरवाहा बनना स्वीकार किया ताकि उन्हीं पहाड़ियों में जाकर बीरू के पिता की याद वह बिसरा सके।

आखिर चरवाहा होकर रह गई बीरू की माँ। बीरू छोटा था। वह भी माँ के साथ जंगल जाया करता । उसे ऊँचे-ऊँचे पर्वत, गहरी-गहरी घाटियाँ व खिलखिलाती प्रकृति बहुत अच्छी लगती। परिश्रम से मिले धन से दोनों को सुख मिलता। जीवन की गाड़ी बहुत अच्छी तरह से चल रही थी। अब बीरू जितना गरीब था उतना ही पढ़ने में सबसे आगे भी था। बीरू की माँ से गाँव की मवेशियाँ इतनी हिल-मिल गई थीं

कि जब भी वह न जाती तो मवेशियाँ खाना छोड़ देतीं। बीरू की माँ ने एक बकरी पाली थी, जिसका नाम था नीरू। वह उसे एक दिन भीषण बाढ़ में बहती मिली थी। बीरू नीरू को इतना अच्छा मानता कि उसे दीदी ही कहा करता। वह भी बीरू से अक्सर खूब उछल-कूद किया करती।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book