लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> नन्हा सेनानी

नन्हा सेनानी

रामगोपाल वर्मा

प्रकाशक : एम. एन. पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :40
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4484
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

344 पाठक हैं

इसमें 11 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।

Nanha Senani-A Hindi Book by Ramgopal Varma

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नन्हा सेनानी

भूपेन्द्र एक आठ वर्ष का बालक था। वह बनारस में रहता था। उसके तीन बड़े भाई थे। उनके नाम थे शतीन्द्र, रवीन्द्र, जितेन्द्र। वह अपने भाइयों के साथ रहता था। उसके भाई क्या करते थे, वह नहीं जानता था। वे कभी-कभी तो रात में घर भी नहीं आते थे। उसकी माँ ने भी उसे कुछ नहीं बताया था। वह तो खेल में लगा रहता था। जब उसे उसके बड़े भाई नहीं दिखाई देते तो वह माँ से पूछता, ‘माँ, माँ बड़े भैया कहाँ गए हैं ?’

माँ उसे समझाती, अभी आ जाएँगे। तू दूध पी ले और सो जा। वह सोने लगता तो उसके दूसरे भैया की याद आ जाती। वह फिर पूछता, ‘माँ, माँ जीतेन्द्र भैया भी नहीं आए ?’ कई दिन से मैं उनके साथ भी नहीं खेला। माँ, जीतेन्द्र भैया मुझे बहुत प्यार करते हैं। खेलते-खेलते खुद हार जाते हैं और मुझे जिता देते हैं। माँ, अच्छे हैं न जीतेन्द्र भैया !, माँ उसे बहलाती। उसे लोरियाँ सुनाती। अपने आँसू पोंछती और रात को उसे जल्दी सुला देती। भूपेन्द्र दिन भर खेलता रहता। रात होते ही उसे अपने भाइयों की याद आती। माँ उसे बताना नहीं चाहती थी।

अभी वह छोटा है। इस बार भूपेन्द्र ने ज़िद पकड़ ली। वह बोला, ‘माँ आज तुम्हें बताना ही होगा कि तीनों भैया कहाँ गए हैं। तुम नहीं बताओगी, तो मैं दूध नहीं पीऊँगा । कल से रोटी भी नहीं खाऊँगा।’ माँ ने उसके मुँह पर अपना हाथ रखा। उसे रोना आ गया। अपनी रुलाई को दबाकर माँ ने कहा, ‘अच्छा, बताती हूँ। तू दूध तो पी। तेरे तीनों भैया भारत माता की सेवा करने गए हैं।’ भूपेन्द्र तुरन्त बोल पड़ा, ‘पर हमारी माता तो तुम हो।’ माँ ने समझाया, ‘मुझसे भी बड़ी माँ, भारत माता है।’


प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book