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मनोरंजक कथाएँ >> छोटी मछली बड़ी मछली

छोटी मछली बड़ी मछली

शैलेश मटियानी

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4490
आईएसबीएन :0000

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बाल कहानी छोटी मछली बड़ी मछली

Chhoti Machhali Bari Machhali -A Hindi Book by Shailesh Matiyani

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

छोटी मछली, बड़ी मछली

सिन्धुराज अपने समय का चक्रवर्ती सम्राट् था। दसों दिशाओं में उसका एकछत्र साम्राज्य था। उसके विशाल साम्राज्य में सूर्य-चन्द्र अस्त न होते थे।
सिन्धु राज के अधीन सैकड़ों अन्य छोटे-छोटे राज्य थे । इन छोटे-छोटे राज्यों के राजाओं से सिन्धुराज कर लिया करता था। अपार धन, कर के रूप में, सिन्धुराज के पास आता था। सो सिन्धुराज का खजाना पनिहारिन की गगरी और कालू की बकरी-सा भरा जा रहा था। (‘कालू की बकरी दूसरों के खेतों में हरी-हरी घास चर, अपना पेट भर लाई’-यह कहानी तो पढ़ी होगी न ? ठीक इसी तरह अन्य राजाओं की सम्पत्ति से सिंधुराज अपना खजाना भर रहा था !)
अति हर चीज़ की बुरी होती है। इसलिए हमारे बड़े बूढ़े कहा करते हैं-


‘अति का भला न हँसना अति की भली न चुप।
अति की भली न बरखा अति की भली न धूप।।


सम्पत्ति की अति से सिन्धुराज को मद हो गया। घमण्ड और कुविचार के राहु-केतु ने उसके चरित्ररूपी-चन्द्रमा को ग्रस लिया। अपने कर्तव्य और कर्म को भूल सिन्धुराज दिन-रात विलास के दलदल में डूबता गया। दलदल में फँसा पाँव, भूचाल में धँसा गांव मुश्किल से ही बचता है।

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