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बोस्ताँ की कहानियाँ

शेख सदी

प्रकाशक : एम. एन. पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4493
आईएसबीएन :0000

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इसमें बोस्ताँ की कहानियों का उल्लेख किया गया है।

Bostan Ki Kahaniyan -A Hindi Book by Shekh Sadi - बोस्ताँ की कहानियाँ - शेख सदी

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

रसना का जादू

एक छैलछबीला आदमी शहद बेचा करता था। उसकी बानी में इतनी मिठास थी कि खरीददार उस पर मक्खी की तरह टूट पड़ते थे।
एक बदमिजाज आदमी ने उसे देखा और डाह करने लगा। उसने सोचा, क्यों न मैं भी यही धंधा कर लूँ।

दूसरे दिन वह भी शहद का मटका सिर पर लेकर घर से निकल पड़ा। आदत के अनुसार उसके माथे पर त्योरियाँ पड़ी हुई थीं। वह ध्यान से दरवाजों की ओर देखता कि शायद कोई मुझे पुकार न रहा हो। पर ज्योंही उसकी नजर किसी औरत या मर्द से टकरा जाती, उसे देखने वाला मुँह फेर लेता।

शहद बेचने वाला परेशान था। वह दिन-भर चिल्ला-चिल्लाकर आवाजें देता रहा-‘‘शहद ले लो, शहद !’’ पर उसकी आवाज इतनी तीखी थी कि सुनने वालों के दिल में घिन पैदा कर रही थी।
सारा दिन शहद का मटका लिये-लिये वह भटकता रहा। आखिर थककर वह चूर हो गया और फिर उसने घर की राह ली। घर में बीवी उसकी सूरत देखकर सारा किस्सा भाँप गई और हँसी करते हुए बोली-
‘‘बदमिजाज का शहद भी कड़वा होता है, मियाँ ! अगर तुम्हारे पास सोना-चाँदी नहीं तो क्या तुम अपनी बानी में मिठास भी पैदा नहीं कर सकते ?
रसना का जादू ऐसा है कि जहाँ मीठी बानी से लोग खिंचे चले आते हैं वहाँ कड़वी जबान दूसरों के दिल में नफरत का जहर घोल देती है।



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