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मनोरंजक कथाएँ >> बिल्लू की सूझबूझ

बिल्लू की सूझबूझ

दिनेश चमोला

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4501
आईएसबीएन :81-7043-483-1

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बिल्लू की सूझबूझ रोचक बाल कहानी

Billu Ki Sujhbujh -A Hindi Book by Dinesh Chamola - बिल्लू की सूझबूझ - दिनेश चमोला

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

परोपकार

हीरामन तोते के दो सुन्दर बच्चे थे। वह पीपल की कोटर में रहते थे। उनका नाम तोता दम्पती ने लव-कुश रखा था। अभी उनके पूरे पंख भी नहीं निकले थे। वह आकाश में अपने माता-पिता की तरह उड़ना चाहते थे। दूर तक दिखती फैली झील के किनारे जाना चाहते थे। लेकिन पंख न होने के कारण वे उड़ने में असमर्थ थे। कभी वे भरकस प्रयास भी करते तो औंधे मुँह उल्टे गिर पड़ते। जिससे शरीर में काफी देर तक दर्द रहता। तोता दम्पती उनके लिए कई-कई दिनों का दाना–खाना समेट कर रखते। तोता दम्पती अपनी सुन्दरता एवं व्यवहार के लिए पूरे वन में प्रान्त में प्रसिद्ध थे। हर बार जंगल की सौन्दर्य प्रतियोगिता में तोता दम्पत्ति ही विजेता रहते। जब उनके माता-पिता दूर देश से दाना लेकर लौटते तो वे उत्सुकता से आकर स्वागत करते।

एक दिन प्रातः काल ही तोता दम्पती चारे की खोज में कहीं दूर जंगल में निकल पड़े। अधिक चारा समेटने के लालच में वे दोनों एक बहेलिए के चंगुल में फँस गए। देर रात तक भी जब उनके माता-पिता न लौटे तो लव-कुश बहुत दुःखी हुए। वे मन-ही-मन कई मनौतियाँ मनाने लगे। रोते-रोते रात बीत गई लेकिन वे न लौटे। अब उन्हें विश्वास हो गया कि अवश्य किसी शिकारी ने उन्हें मार गिराया है। अब उनके पंख कुछ बड़े हो गए थे।

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