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क्रान्तिकारी मंगल पाण्डे

अमित गुप्ता

प्रकाशक : ए आर एस पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4508
आईएसबीएन :0000

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इसमें क्रान्तिकारी मंगल पाण्डे के जीवन का उल्लेख किया गया है।

Krantikari Mangal Pandey-A Hindi Book y by Amit Gupta

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

क्रांतिकारी मंगल पांडे

भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास उन वीर तथा देशभक्त क्राँतिकारियों के निरंतर संघर्षों की अमर गाथा से भरा पड़ा है, जिन्होंने देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। क्राँतिकारियों के इन्हीं संघर्षों एवं बलिदानों के फलस्वरूप हमारा देश 15 अगस्त, वर्ष 1947 को स्वतंत्र हुआ। देश को स्वतंत्र कराने के लिए आरम्भ किए गए इन संघर्षों की नीव पड़ी थी वर्ष 1857 में हुई प्रथम क्राँति से।

देश के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वर्ष 1857 की क्राँति का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसी क्राँति के नायक बनकर सामने आए ‘मंगल पाण्डे’ वास्तव में मंगल पाण्डे द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध क्राँति का बिगुल बजाने से पूर्व उन्हें कोई नहीं जानता था। वह असंख्य असाधारण भारतवासियों की भाँति अंग्रेजों की सेना में एक सिपाही थे। मंगल पाण्डे की जन्म तिथि के विषय में कोई तिथि निश्चित नहीं है, किन्तु प्राप्त प्रमाणों के अनुसार उनका जन्म वर्ष 1824 के आस-पास ही हुआ था।

मंगल पाण्डे का जन्म एवं पैतृक स्थान उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की फैजाबाद तहसील का छोटा सा गाँव ‘दुगवा रहीमपुर’ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पाण्डे था। दिवाकर पांडे अत्यन्त धार्मिक प्रवृत्ति वाले साधारण ब्राह्मण थे। मंगल पाण्डे की प्रारम्भिक शिक्षा उनके गाँव की पाठशाला में हुई। बाल्यावस्था में मंगल पाण्डे की रुचि शिक्षा की अपेक्षा खेलकूद व वीरता वाले कार्यो में ही थी। इसी कारण हिन्दी भाषा में ही उन्होंने सामान्य शिक्षा प्राप्त की।



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