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मनोरंजक कथाएँ >> तीन ठग और मूर्ख ब्राह्मण

तीन ठग और मूर्ख ब्राह्मण

मुकेश नादान

प्रकाशक : एम. एन. पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4514
आईएसबीएन :81-7900-001-x

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इसमें रोचक 7 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।

Teen Thag Aur Murkh Brahaman A Hindi Book by Mukesh Nadan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

चालाक बिलाव

जंगल में एक विशाल वृक्ष था, जिस पर तरह-तरह के पक्षी रहते थे। उसी पेड़ के नीचे कोटर में एक गौरैया पक्षी भी रहता था। एक दिन वह अपनी कोटर छोड़कर कहीं चला गया। काफी समय बाद भी लौटकर नहीं आया।

एक दिन एक खरगोश उधर से निकला। उसने कोटर खाली देखा तो वह उस कोटर में रहने लगा। कुछ दिनों के बाद गौरैया पक्षी भी अपने कोटर में लौट आया। कोटर में खरगोश को देखकर गौरैया पक्षी ने कहा, ‘‘यह तो मेरे रहने की जगह है, तुम इस जगह को छोड़कर चले जाओ।’’

खरगोश बोला जानवरों और पक्षियों का कोई घर नहीं होता, जो जहां भी रहता है वहीं उसका घर होता है।’’
दोनों में काफी बहस होने लगी।
जब काफी समय तक कोई हल नहीं निकला तो उन्होंने इसका फैसला किसी तीसरे से कराने का विचार किया और दोनों निकल पड़े।

थोड़ी दूर चलने पर दोनों ने देखा कि एक बिलाव आँख बन्द किए ध्यान में खोया है गौरैया पक्षी बोला, ‘‘क्यों न हम इस बिलाव से ही फैसला करा लें।’’

‘‘नहीं यह तो हमारा जन्मजात शत्रु है’’ खरगोश बोला। गौरैया बोला, हम इसके पास नहीं जाएँगे, दूर से ही बात करेंगे। इस पर खरगोश राजी हो गया और दोनों ने बिलाव से जाकर अपनी सारी बात कह डाली।


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