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नाटक एवं कविताएं >> जय-जय हिन्दुस्तान की

जय-जय हिन्दुस्तान की

श्यामसुन्दर मिश्र

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 1996
पृष्ठ :71
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 4517
आईएसबीएन :0000

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देश-प्रेम, राष्ट्रीयता और स्वदेश-गौरव की कवितायें...

Jai-Jai Hindustan Ki - A hindi book by Shyamsundar Misra

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

उत्तर प्रदेश


देखो उत्तर का प्रदेश यह
अनुपम हैं अमराइयां ।
और यहीं की भाषा में हैं
तुलसी की चौपाइयाँ ।। 1

जन्मभूमि है यहीं राम की
धरती यह सरनाम है ।
पिये वहाँ का कण-कण देखो
राम नाम का जाम है ।। 2

क्रमशः...

बिहार


देखो गंगा की मिट्टी से
निर्मित हुआ कछार यह ।
भूमि यहां की बहुत उर्वरा
सूबा सुखद बिहार यह ।। 1

हुआ अशोक महान यहीं पर
यहीं मगध प्राचीन है ।
यहीं बैठकर वट के नीचे
बजी बुद्ध की बीन है ।। 2

क्रमशः...

दिल्ली


जिसको कहते दिल्ली वह तो
इन्द्रप्रस्थ प्राचीन है ।
युगों युगों से झेली इसने
दुश्मन की संगीन है ।। 1

जामा-मस्जिद बनी यहीं पर
यहीं कुतुबमीनार है ।
देखो आज यहीं पर रहती
भारत की सरकार है ।। 2

क्रमशः...

राजस्थान


बढ़े मध्य की ओर तनिक अब
यह सिंहों का नाद है ।
कोरा रेगिस्तान नहीं यह
हिन्दुस्तानी चाँद है ।। 1

पुरुषों से भी श्रेष्ठ हुई हैं
सदा यहां की नारियां ।
देखों यहां अभी उड़ती हैं
जौहर की चिनगारियां ।। 2

भारत का सिरमौर रही यह
धरती राजस्थान की ।
आओ बच्चो मिलकर बोले
जय-जय हिन्दुस्तान की ।।3

क्रमशः...


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