बाल एवं युवा साहित्य >> प्रेरक भारतीय कथाएं प्रेरक भारतीय कथाएंशुचि माथुर
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प्रेरक भारतीय कथाएं
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
संस्कृत बाल-साहित्य में कहानी की दो अद्भुत पुस्तकें हैं - पंडित विष्णु शर्मा का पंचतंत्र और पंडित नारायण शर्मा का हितापदेश। पंचतंत्र और हितोपदेश सार्थक नाम हैं और दोनों में अनेक समानताएं हैं।
इन कहानियों का प्रधान उद्देश्य है आधुनिक बालकों को योग्य एवं उत्तरदायी नागरिक बनाना। दोनों की युगीन परिस्थितियों में आकाश-पाताल का अन्तर है। हमारे आधुनिक युग के बालक मानसिकता में अन्तरिक्ष युग से भी आगे हैं। रेडियो, दूरदर्शन और विविध बाल-साहित्य ने हमारे बच्चों के मानसिक क्षितिज का परिमित विस्तार किया है। संक्षेप में जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए सोलह कलाओं में निष्णात बनाना है।
पंततंत्र में कहानी की प्रधानता जबकि हितोपदेश में यथाअवसर नीति और हित की बातों का समावेश है। इसलिए पंचतंत्र बालकों के लिए अधिक लोकप्रिय है। बालक इन्हें पढ़कर स्वयं शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं।
प्रेरक भारतीय कथाओं में युगीन परिस्थितियों एवं समस्याओं और समाज की विवधताओं को भी पिरोया गया है। इसमें पौराणिक साहित्य, जातक साहित्य, विश्व बाल-साहित्य, लोक साहित्य, परी कथा, फैंटेसी, मिथक आदि को स्थान दिया है।
इन कहानियों का प्रधान उद्देश्य है आधुनिक बालकों को योग्य एवं उत्तरदायी नागरिक बनाना। दोनों की युगीन परिस्थितियों में आकाश-पाताल का अन्तर है। हमारे आधुनिक युग के बालक मानसिकता में अन्तरिक्ष युग से भी आगे हैं। रेडियो, दूरदर्शन और विविध बाल-साहित्य ने हमारे बच्चों के मानसिक क्षितिज का परिमित विस्तार किया है। संक्षेप में जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने के लिए सोलह कलाओं में निष्णात बनाना है।
पंततंत्र में कहानी की प्रधानता जबकि हितोपदेश में यथाअवसर नीति और हित की बातों का समावेश है। इसलिए पंचतंत्र बालकों के लिए अधिक लोकप्रिय है। बालक इन्हें पढ़कर स्वयं शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं।
प्रेरक भारतीय कथाओं में युगीन परिस्थितियों एवं समस्याओं और समाज की विवधताओं को भी पिरोया गया है। इसमें पौराणिक साहित्य, जातक साहित्य, विश्व बाल-साहित्य, लोक साहित्य, परी कथा, फैंटेसी, मिथक आदि को स्थान दिया है।
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