बाल एवं युवा साहित्य >> बाल महाभारत (सजिल्द) बाल महाभारत (सजिल्द)श्याम सुन्दर शास्त्री
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हालाँकि अभी तक यह महाकाव्य कथा, कहानी, नाटक इत्यादि कई रूपों में प्रकाशित हो चुका है परन्तु प्रस्तुत पुस्तक के द्वारा हमने इसे मनोरंजक व आकर्षक रूप में अपने युवा पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
महाभारत भारत की साँस्कृतिक धरोहर का एक अमूल्य रत्न है। यह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें करीब एक लाख श्लोक एक साथ दिये गये हैं। इसलिए इसकी गणना विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य के रूप में की जाती है। वैसे तो इसका अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हो चुका है परन्तु मूलरूप में इसकी रचना महर्षि व्यास ने संस्कृत भाषा में आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व की थी। तब से आज तक यह महाकाव्य भारतीय जीवन-दर्शन तथा अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण श्रोत बना हुआ है।
कहा जाता है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की कृपा से महर्षि व्यास को इसे सपने में लिखने की प्रेरणा मिली। तब से वह किसी ऐसे व्यक्ति की खोज में जुट गये जो उनके द्वारा बोले गये शब्दों को अपनी लेखनी द्वारा कागज पर उतार सके। अन्ततः इस कार्य को पूर्ण करने की जिम्मेदारी गणेश जी ने ली। परन्तु इस कार्य को आरम्भ करने से पूर्ण उन्होंने वेद व्यास के सामने यह शर्त रखा कि वह लगातार बिना रुके इसका लेखन करेंगे। वेद व्यास जी ने गणेश जी की इस शर्त को मान तो लिया, परन्तु साथ ही उन्होंने गणेश जी से यह भी कहा कि वह प्रत्येक शब्द को अच्छी तरह समझ कर ही लिखे। इस प्रकार महाभारत को लिखने में गणेश जी ने व्यास जी की सहायता की।
कहा जाता है कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा की कृपा से महर्षि व्यास को इसे सपने में लिखने की प्रेरणा मिली। तब से वह किसी ऐसे व्यक्ति की खोज में जुट गये जो उनके द्वारा बोले गये शब्दों को अपनी लेखनी द्वारा कागज पर उतार सके। अन्ततः इस कार्य को पूर्ण करने की जिम्मेदारी गणेश जी ने ली। परन्तु इस कार्य को आरम्भ करने से पूर्ण उन्होंने वेद व्यास के सामने यह शर्त रखा कि वह लगातार बिना रुके इसका लेखन करेंगे। वेद व्यास जी ने गणेश जी की इस शर्त को मान तो लिया, परन्तु साथ ही उन्होंने गणेश जी से यह भी कहा कि वह प्रत्येक शब्द को अच्छी तरह समझ कर ही लिखे। इस प्रकार महाभारत को लिखने में गणेश जी ने व्यास जी की सहायता की।
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