लोगों की राय

विविध >> आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान

आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान

अरुण कुमार सिंह, आशीष कुमार सिंह

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :752
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4576
आईएसबीएन :81-208-2187-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

409 पाठक हैं

आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान....

Aadhunik Samanaya Manovigyan a hindi book by Arun Kumar Singh, Ashish Kumar Singh - आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान - अरुण कुमार सिंह, आशीष कुमार सिंह

प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश

प्रस्तावना

‘आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान’ मूलतः बी.ए. स्तर के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है। इस पुस्तक से बी.ए. कक्षा में आनर्स, पास एवं सबसिडियरी पाठ्यक्रमों पर आधृत परीक्षाओं की तैयारी में भरपूर मदद मिलेगी। पुस्तक 11 अध्यायों में लिखा गया है। सामान्य मनोविज्ञान के सभी प्रमुख अध्यायों को जिन्हें बी.ए. स्तर पर पढ़ाया जाता है, इसमें सम्मिलित किया गया है। अंतिम अध्याय सांख्यिकी (Statistics) का है जिसमें मूलतः केन्द्रीय प्रवृत्ति के विभिन्न मापों (measures) तथा परिवर्तनशीलता के विभिन्न मापों के उदाहरण एवं उनकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया है। इस अध्याय से छात्रों को प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में उपयोग होने वाले वर्णनात्मक सांख्यिकी (Descriptive Statistics) का ज्ञान होगा। पुस्तक के अंत में कुछ निबंधात्मक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Question) को भी दिया गया है ताकि छात्र उनका अभ्यास करके अपने ज्ञान को तेजी से विकसित कर सकें।
प्रत्येक अध्याय में तथ्यों की व्याख्या करने में नवीनतम मनोवैज्ञानिक अध्यायों का समावेश किया गया है। यथासंभव भारतीय परिप्रेक्ष्य में किए गए महत्त्वपूर्ण अध्ययनों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है।
पुस्तक के लेखन में हमें जिन पुस्तकों एवं शोध जरनलों का सहारा लेना पड़ा है, उनके लेखकों के प्रति मैं अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
अंत में, हम श्री कमला शंकर सिंह, जो शाखा प्रबंधक के पद को सुशोभित कर रहे हैं, के प्रति भी अपना आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि, उनका प्रोत्साहन इस पुस्तक के लेखन में अहम् स्थान रखता है।

चतुर्थ संस्करण


‘आधुनिक सामान्य मनोविज्ञान’ का चतुर्थ संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण आपके हाथ में है। बहुत सारे, प्रशंसकों एवं कुछ शिक्षकों द्वारा दिये गए सुझावों के आलोक में पुस्तक के इस संस्करण में यत्र-तत्र आवश्यक संशोधन भी किये गये हैं जिनसे उम्मीद है कि पाठकगण अधिक-से-अधिक लाभान्वित होंगे। इस संस्करण में विशेषतः तंत्रिका तंत्र, अधिगम, अभिप्रेरण, चिंतन तथा बुद्धि वाले अध्यायों में संशोधन करके उन्हें अधिक लाभप्रद बनाया गया है।
अरुण कुमार सिंह
आशीष कु्मार सिंह
सितम्बर, 2005


अध्याय 1
विषय प्रवेश
(Introduction)
मनोविज्ञान का स्वरूप एवं कार्यक्षेत्र
(Nature and Scope of Psychology)


प्राक्-वैज्ञानिक काल (per-scientific period) में मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र (Philosophy) का एक शाखा था। जब विल्हेल्म वुण्ट (Wilhelm Wundt) ने 1879 में मनोविज्ञान का पहला प्रयोगशाला खोला, मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र के चंगुल से निकलकर एक स्वतंत्र विज्ञान का दर्जा पा सकने में समर्थ हो सका। मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो प्राणी के व्यवहार तथा मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes) का अध्ययन करता है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे—चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं (mental process) के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। व्यवहार में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं में चिंतन, भाव-संवेग एवं अन्य तरह की अनुभूतियों का अध्ययन सम्मिलित होता है।

मनोविज्ञान के क्षेत्र (Field) या कार्य क्षेत्र के बारे में जानने का एक आसान तरीका उन विषयों तथा समस्याओं पर ध्यान देना है जिसमें आधुनिक मनोविज्ञान अधिक अभिरुचि दिखलाते हैं तथा उनका विशेष अध्ययन कर रहे हैं। मनोविज्ञान आजकल अमेरिका में सबसे ज्यादा विकसित एवं मजबूत शास्त्र (discipline) के रूप में उभरा है और यह विकास अन्य देशों में मनोविज्ञान की प्रगति को न केवल प्रभावित करता है बल्कि कुछ अर्थ में उसे नियंत्रित भी करता है। अमेरिका में आजकल मनोवैज्ञानिकों का दो महत्त्वपूर्ण संगठन (Organizations) है—

(क)    अमेरिकन मनोवैज्ञानिक संगठन (American Psychological Association or APA)
(ख)    अमेरिकन मनोवैज्ञानिक समुदाय (American Psychological Society or APS)
APA की स्थापना 1892 में जी. स्टेनले हॉल (G. Stanley Hall) द्वारा हुआ। इसमें कुल 53 डिविजन (Division)  हैं जिनसे मनोविज्ञान के बारे में स्पष्ट ज्ञान होता है। मनोविज्ञान के इन सभी डिविजन को तालिका 1 में दिखलाया गया है। APS की स्थापना 1988 में हुई जिसका उद्देश्य मनोविज्ञान के शैक्षिक एवं वैज्ञानिक आधारों को मजबूत बनाना है। दोनों संगठनों के सदस्य आपस में मिलकर काम करते हैं तथा मनोविज्ञान को  सार्थक बनाने की कोशिश करते हैं।
    तालिका 1 : अमरीकन मनोवैज्ञानिक संघ डिवीजन, 1991
                    (American Psychological Association Division, 1991)
1.    सामान्य मनोविज्ञान (General Psychology)
2.    शिक्षण का मनोविज्ञान (Teaching Psychology)
3.    प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Experimental Psychology)
4.    मूल्यांकन, मापन तथा सांख्यिकी (Evaluation Mesurement and Statistics)
5.    दैहिक एवं तुलनात्मक मनोविज्ञान (Psychological and Comparative Psychology)
6.    विकासात्मक मनोविज्ञान (Development Psychology)
7.    व्यक्तित्व एवं समाज मनोविज्ञान (Personality and Social Psychology)
8.    सामाजिक समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्ययन का समाज (Society for the Psychological Study of Social         Issues)
9.    मनोविज्ञान एवं कला (Psychology and the Arts)
10.     नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical Psychology)
11.     परामर्शी मनोविज्ञान (Consulting Psychology)
12.     औद्योगिक एवं संगठनात्मक मनोविज्ञान का समाज (Society for Industrial and Organisational                         Psychology)
13.    शिक्षा मनोविज्ञान (Educational Psychology)
14.     स्कूल मनोविज्ञान (School Psychology)
15.     परामर्श मनोविज्ञान (Counselling Psychology)
16.     जनसेवा में मनोविज्ञानिक (Psychologist in Public Service)
17.     सैन्य मनोविज्ञान (Military Psychology)
18.    व्यस्क विकास एवं उम्रप्रभाव (Adult Development and Aging)
19.     प्रयुक्त प्रयोगात्मक एवं अभियंत्रणी मनोवैज्ञानिक (Applied Experimental and Engineering                                 Psychologists)
20.     पुनर्वास मनोविज्ञान (Rehabilitation Psychology)
21.     उपभोक्ता मनोविज्ञान (Consumer Psychology)
22.     सैद्धान्तिक एवं दार्शनिक मनोविज्ञान (Theoretical and Philosophical Psychology)
23.     व्यवहार का प्रयोगात्मक विश्लेषण (Experimental Analysis of Behaviour)
24.     मनोविज्ञान का इतिहास (History of Psychology)
25.     सामुदायिक मनोविज्ञान (Community Psychology)
26.     मनोऔषधशास्त्र (Psychopharmacology)
27.     मनश्चिकित्सा (Psychotherepy)
28.     मनोवैज्ञानिक सम्मोहन (Psychological Hypnosis)
29.     राज्य मनोवैज्ञानिक संघ कार्य ( State Psychological Association Affairs)
1. डिवीजन की खास विशेषता यह है कि डिवीजन संख्या 4 एवं 11 नहीं है। अतः APA में कुल 53 डिवीजन हैं जिनसे मनोविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों का सम्पूर्ण ज्ञान होता है।
30. मानवतावादी मनोविज्ञान (Humanistic Psychology)
31. मानसिक दुर्बलता एवं विकासात्मक अयोग्यता (Mental Retordation and Development Disabilities)
32. जनसंख्या एवं पर्यावरणी मनोविज्ञान (Population and Environmental Psychology)
33. महिलाओं का मनोविज्ञान (Psychology of Women)
34. धार्मिक समस्याओं में रुचि रखने वाले मनोवैज्ञानिक (Psychologists interested in Religions issues)
35. बाल, युवा एवं पारिवारिक सेवाएँ (Child, Youth and Family Services)
36. स्वास्थ्य मनोविज्ञान (Health Psychology)
37. मनोविश्लेषण (Psychanalysis)
38. वैधानिक न्यूरोमनोविज्ञान (Clinical Neuropsychology)
39. अमेरिकन मनोविज्ञान-कानून समाज (American Psychology-Law Society)
40. स्वतंत्र सेवा में मनोवैज्ञानिक (Psychologists in Independent Practice)
41. पारिवारिक मनोविज्ञान (Family Psychology)
42. विलासी एवं स्त्री समलिंगकामुकता की समस्याओं को मनोवैज्ञानिक अध्ययन का समाज (Society for                         Psychological study of lesbian and gay issues)
43. प्रजातीय अल्पसंख्यक समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्ययन का समाज (Society for Psychological study of             Ethnic Minority issues)
44. मीडिया मनोविज्ञान (Media Psychology)
45. व्यायाम एवं खेलकूद मनोविज्ञान (Exercise and sports Psychology)
46. शांति मनोविज्ञान (Peace Psychology)
47. सामूहिक मनोविज्ञान एवं सामूहिक मनश्चिकित्सा (Group Psychology and Group Psychotherapy)
48. व्यस्नी व्यवहारों का मनोविज्ञान (Psychology of Addictive Behaviours)
49. पुरुष एवं पुरुषत्व के मनोवैज्ञानिक अध्ययन के लिए सोसाइटी (Society for Psychological study of Men             and     Masculinity)
50. अन्तर्राष्ट्रीय मनोविज्ञान (International Psychology)
51. किशोर मनोविज्ञान तथा नैदानिक बच्चों का सोसाइटी (Society of Clinical Child and Adolescent                         Psychology)
52. बाल चिकित्सा मनोविज्ञान (Pediatric Psychology)
53. औषध चिकित्सा के विकास के लिए अमेरिका सोसाइटी (American Society for Advancement of                         Pharmacotheraphy)
लिण्डजे, हॉल तथा थॉम्पसन (Lindzey, Hall & Thompson, 1989) ने मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र (scope) की समीक्षा किया है और कहा है कि मनोवैज्ञानिकों को तो कई दृष्टिकोण से श्रेणीकृत किया जाता है। उदाहरणस्वरूप, उन्हें प्राप्त प्रशिक्षण (training) (जैसे डाक्टरीय उपाधि या एम.ए. की उपाधि आदि) के अनुसार, जहाँ वे कार्य करते हैं, विश्वविद्यालय, अस्पताल, स्कूल, निजी सेवा के अनुसार तथा अपनी पेशा से प्राप्त आय (income) के अनुसार उन्हें कई भागों में बाँट दिया जाता है। परंतु मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र(scope) को सही ढंग से समझने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण श्रेणी वह श्रेणी है जिससे यह पता चलता है कि मनोविज्ञानी क्या चाहते हैं ? किये गये कार्य के आधार पर मनोविज्ञानियों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है—पहली श्रेणी में उन मनोविज्ञानियों को रखा जाता है जो शिक्षण कार्य में व्यस्त हैं, दूसरी श्रेणी में उन मनोवैज्ञानियों को रखा जाता है जो मनोविज्ञानिक समस्याओं पर शोध करते हैं तथा तीसरी श्रेणी में उन मनोविज्ञानियों को रखा जाता है जो मनोविज्ञानिक अध्ययनों से प्राप्त तथ्यों के आधार पर कौशलों एवं तकनीक का उपयोग वास्तविक परिस्थिति में करते हैं। इस तरह से मनोविज्ञानियों का तीन प्रमुख कार्यक्षेत्र है—शिक्षण (teaching), शोध (research) तथा उपयोग (application)। इन तीनों कार्यक्षेत्रों से सम्बन्धित मुख्य तथ्यों का वर्णन निम्नांकित है—

1.    शैक्षिक क्षेत्र (Academic areas)-

शिक्षण तथा शोध मनोविज्ञान का एक प्रमुख कार्य क्षेत्र है। इस दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के तहत निम्नांकित शाखाओं में मनोविज्ञानी अपनी अभिरुचि दिखाते हैं—
(1)    जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान (Life-span development Psychology)
(2)    मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Human experimental Psychology)
(3)    पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Animal experimental Psychology)
(4)    दैहिक मनोविज्ञान (Psychological Psychology)
(5)    परिणात्मक मनोविज्ञान (Quantitative Psychology)
(6)    व्यक्तित्व मनोविज्ञान (Personality Psychology)
(7)    समाज मनोविज्ञान (Social Psychology)
(8)    शिक्षा मनोविज्ञान (Educational Psychology)
(9)    संज्ञात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology)
(10)    असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology)
(1)    जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान (Life-span development Psychology)- बाल मनोविज्ञान का प्रारंभिक संबंध मात्र बाल विकास (Child development) के अध्ययन से था परंतु हाल के वर्षों में विकासात्मक मनोविज्ञान में किशोरावस्था, वयस्कावस्था तथा वृद्धावस्था के अध्ययन पर भी बल डाला गया है। यही कारण है कि इसे जीवन अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान कहा जाता है। विकासात्मक मनोविज्ञान में मनोविज्ञान मानव के लगभग प्रत्येक क्षेत्र जैसे—बुद्धि, पेशीय विकास, सांवेगिक विकास, सामाजिक विकास, खेल, भाषा विकास का अध्ययन विकासात्मक दृष्टिकोण से करते हैं। इसमें कुछ विशेष कारक जैसे—आनुवांशिकता, परिपक्वता, पारिवारिक पर्यावरण, सामाजिक आर्थिक अन्तर (socio-economic differences)  का व्यवहार के विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया जाता है। कुल मनोविज्ञानियों का 5% मनोवैज्ञानिक विकासात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
(2)    मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Human experimental Psychology)—मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव के उन सभी व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है जिस पर प्रयोग करना सम्भव है। सैद्धान्तिक रूप से ऐसे तो मानव व्यवहार के किसी भी पहलू पर प्रयोग किया जा सकता है परंतु मनोविज्ञानी उसी पहलू पर प्रयोग करने की कोशिश करते हैं जिसे पृथक किया जा सके तथा जिसके अध्ययन की प्रक्रिया सरल हो। इस तरह से दृष्टि, श्रवण, चिन्तन, सीखना आदि जैसे व्यवहारों का प्रयोगात्मक अध्ययन काफी अधिक किया गया है। मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में उन मनोवैज्ञानिकों ने भी काफी अभिरुचि दिखलाया है जिन्हें प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का संस्थापक कहा जाता है। इनमें विलियम वुण्ट, टिचेनर तथा वाटसन आदि के नाम अधिक मशहूर हैं।
(3)    पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Animal experimental Psychology)—मनोविज्ञान का यह क्षेत्र मानव प्रयोगात्मक विज्ञान (Human experimental Psychology) के समान है। सिर्फ अन्तर इतना ही है कि यहाँ प्रयोग पशुओं जैसे—चूहों, बिल्लियों, कुत्तों, बन्दरों, वनमानुषों आदि पर किया जाता है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में अधिकतर शोध सीखने की प्रक्रिया तथा व्यवहार के जैविक पहलुओं के अध्ययन में किया गया है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में स्कीनर, गथरी, पैवलव, टॉलमैन आदि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। सच्चाई यह है कि सीखने के आधुनिक सिद्घान्त तथा मानव व्यवहार के जैविक पहलू के बारे में हम आज जो कुछ भी जानते हैं, उसका आधार पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ही है। इस मनोविज्ञान में पशुओं के व्यवहारों को समझने की कोशिश की जाती है। कुछ लोगों का मत है कि यदि मनोविज्ञान का मुख्य संबंध मानव व्यवहार के अध्ययन से है तो पशुओं के व्यवहारों का अध्ययन करना कोई अधिक तर्कसंगत बात नहीं दिखता। परंतु मनोविज्ञानियों के पास कुछ ऐसी बाध्यताएँ हैं जिनके कारण वे पशुओं के व्यवहार में अभिरुचि दिखलाते हैं। जैसे पशु व्यवहार का अध्ययन कम खर्चीला होता है। फिर कुछ ऐसे प्रयोग हैं जो मनुष्यों पर नैतिक दृष्टिकोण से करना संभव नहीं है तथा पशुओं का जीवन अवधि (life span) का लघु होना प्रमुख ऐसे कारण हैं। मानव एवं पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में कुछ मनोविज्ञानियों की संख्या का करीब 14% मनोविज्ञानी कार्यरत है।
(4)    दैहिक मनोविज्ञान (Psychological Psychology)—दैहिक मनोविज्ञान में मनोविज्ञानियों का कार्यक्षेत्र प्राणी के व्यवहारों के दैहिक निर्धारकों (Psychological determinants) तथा उनके प्रभावों का अध्ययन करना है। इस तरह के दैहिक मनोविज्ञान की एक ऐसी शाखा है जो जैविक विज्ञान (biological science) से काफी जुड़ा हुआ है। इसे मनोजीवविज्ञान (Psychobiology) भी कहा जाता है। आजकल मस्तिष्कीय कार्य (brain functioning ) तथा व्यवहार के संबंधों के अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों की रुचि अधिक हो गयी है। इससे एक नयी अन्तरविषयक विशिष्टता (interdisplinary specialty) का जन्म हुआ है जिसे ‘न्यूरोविज्ञान’ (neuroscience) कहा जाता है। इसी तरह के दैहिक मनोविज्ञान हारमोन्स (hormones) का व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन में भी अभिरुचि रखते हैं। आजकल विभिन्न तरह के औषध (drug) तथा उनका व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन दैहिक मनोविज्ञान में किया जा रहा है। इससे भी एक नयी विशिष्टता (new specialty) का जन्म हुआ है जिसे मनोफर्माकोलॉजी (Psychopharmacology) कहा जाता है तथा जिसमें विभिन्न औषधों के व्यवहारात्मक प्रभाव (behavioural effects) से लेकर तंत्रीय तथा चयापचय (metabolic) प्रक्रियाओं में होने वाले आणविक शोध (molecular research) तक का अध्ययन किया जाता है।


प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book