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महात्मा गांधी के विचार

आर. के. प्रभू तथा यू. आर. राव

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :539
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 468
आईएसबीएन :81-237-0985-4

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‘महात्मा गांधी के विचार’ पाठकों के लिए महात्मा गांधी के विचारों और दर्शनों का उत्कृष्ट सार प्रस्तुत करती है।

Mahatma Gandhi ke Vichar - A hindi Book by - r. k. prabhu and u. r. rao महात्मा गांधी के विचार - आर. के. प्रभू तथा यू. आर. राव

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘महात्मा गांधी के विचार’ पाठकों के लिए महात्मा गांधी के विचारों और दर्शनों का उत्कृष्ट सार प्रस्तुत करती है। सन् 1944 में मूल संस्करण के प्रूफ गांधी जी को भेजे गये थे, जिन्हें उन्होंने स्वयं पढ़ा था। इस संकलन की जांच के लिए गांधी जी द्वारा गठित समिति ने राय प्रकट की थी कि यह संकलन एक नई गीता, एक नई बाइबिल के रूप में सामने आयेगा।

कुछ टिप्पणियाँ

गांधी के विचारों और उनकी चिन्तन प्रक्रिया को लेकर आज बड़ी भ्रान्तियाँ फैली हुई है। मुझे आशा है कि ये पुस्तक जिसमें गांधी की आस्था और आचरण के केन्द्रीय सिद्धांतों के विषय में उनके अपने ही लेखन से संगत उद्धरणों का संकलन किया गया है, आधुनिक व्यक्ति के मन में गांधी की स्थिति को सुस्पष्ट करने में सहायक सिद्ध होगी।
- सर्वपल्ली राधाकृष्णन


आशा है कि पुस्तक उन लोगों के लिए गांधी के मानस को समझने में सहायक होगी जो सर्वोदय की स्थापना और सत्य की खोज में प्रायः प्रयासरत है ।
- आचार्य विनोबा भावे
गांधी जी के बहुमुखी विचारों और उनकी विविध रुचियों की, यह संकलन एक उत्तम प्रस्तुति है।
- दि हिन्दु

निसन्देह यह अभी तक प्रकाशित गांधीवाद का श्रेष्ठ सारसंग्रह है।
- दि टाइम्स ऑफ इन्डिया


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