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रवि कहानी

अमिताभ चौधरी

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :85
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 474
आईएसबीएन :81-237-3061-6

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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक


अगले साल यानी सन् 1933 की जनवरी में रवीन्द्रनाथशांतिनिकेतन लौट आए। वे उस समय एक नया नाटक लिख रहे थे। वे अगले कुछ साल अपनी लिखी पुरानी कहानियों तथा नाटकों में काट छांट करके उन्हें नया रूपदेने में लगे रहें। शांतिनिकेतन में इधर नृत्य के प्रति लोगों की रूचि बढ़ी थी। वहां नृत्य में माहिर काफी लोग थे।

शांतिनिकेतन में नाच सिखाने के लिए मणिपुर और केरल से कई अच्छे गुरू आए थे। सन् तीस के दशक मेंरवीन्द्रनाथ ने काफी कुछ लिखा और काम किया। पढ़े-लिखे लोगों का ध्यान उन्होंने सत्य के प्रति खींचा। उन्होंने ''शापमोचन'', ''चित्रांगदा'',''चंडालिका'', ''श्यामा'' जैसे कई नृत्य नाटक तथा ''ताक्षर देश'' (ताश का देश) जैसा असाधारण नृत्य नाटक लिखा। नृत्य-लक्ष्मी को इसके पहले किसी औरभारतीय ने इतना सम्मान नहीं दिया था। अपने नृत्य नाटक की मंडली को लेकर रवीन्द्रनाथ पूरा भारत और श्रीलंका घूम आए।

रवीन्द्रनाथ ''ताश का देश'' नाटक लेकर मुंबई पहुंचे। इसी के साथ भाषणों और सम्मान का दौर भीचलता रहा। वहां से वे आंध्र विश्वविद्यालय में भाषण देने वाल्टेयर गए, भाषण का विषय था-''मनुष्य''। वाल्टेयर से निजाम के हैदराबाद में। वहां केप्रधानमंत्री सर किशन प्रसाद ने उनसे वहां आने का आग्रह किया था। विश्वभारती के इस्लामी विभाग को निजाम की मदद मिल रही थी।

डेढ़ महीने पश्चिम भारत और मध्य भारत में बिताने के बाद रवीन्द्रनाथ कलकत्तालौटे। राममोहन राय की सौवीं जयंती की सभा में उन्होंने 'भारत पथिक राममोहन' नामक भाषण दिया। शांतिनिकेतन पहुंचने के बाद वहां उनसे मिलनेसरोजिनी नायडू आईं। जवाहरलाल नेहरू भी अपनी पत्नी कमला नेहरू के साथ पहुंचे। उनकी इकलौती बेटी इंदिरा प्रियदर्शनी उन दिनों वहां पढ़ती थीं।

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