मनोरंजक कथाएँ >> सिंदबाद और हीरों की घाटी सिंदबाद और हीरों की घाटीए.एच.डब्यू. सावन
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प्यारे दोस्तों, मेरा नाम है सिंदबाद। सुना तो तुमने जरूर होगा मेरा नाम। क्योंकि मैं बगदाद का सबसे धनी प्रसिद्घ व्यापारी जो हूँ। मैं पैदाइशी अमीर नहीं था। सात रोमाचंक समुद्री यात्राएँ करनी पड़ीं मुझे यहाँ तक पहुँचने में, जहाँ मैं आज हूँ। मैं अपनी सबसे विस्मयकारी व रोमाचंक यात्रा की कहानी आज तुम्हें सुनाऊँगा।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सिंदबाद और हीरों की घाटी
प्यारे दोस्तो ! मेरा नाम है सिंदबाद। सुना तो जरूर होगा तुमने मेरा नाम।
क्योंकि मैं बगदाद का सबसे धनी और प्रसिद्ध व्यापारी जो हूं। मैं पैदाइशी
अमीर नहीं था। सात रोमांचक समुद्री यात्राएं करनी पड़ीं मुझे यहां तक
पहुंचने में, जहां मैं आज हूं। मैं अपनी सबसे विस्मयकारी व रोमांचक यात्रा
की कहानी आज तुम्हें सुनाऊंगा।
एक बार, कई बंदरगाहों पर रुकता, सामान बेचता व खरीदता, मेरा जहाज एक आश्चर्यजनक द्वीप पर पहुंचा। उस द्वीप पर फलदार पेड़ लगे थे, नायाब किस्म के मोती, नीलम व पन्ना जैसे दिखते फलों से लदे, कलकल करती नदियां थीं, रंग-बिरंगे फूल खिलते थे और कलरव करते पंछी उड़ रहे थे। परंतु कोई मनुष्य नजर न आया। मैंने उस सुंदर द्वीप को देखने का मन बनाया। जहाज रुका तो मैं उतरकर अकेला एक पहाड़ी पर चढ़ने लगा। थक गया तो सुस्ताने बैठ गया। ठंडी हवा के झोंकों के नशे में मैं पसर गया और पहुंच गया सपनों की दुनिया में।
काफी देर बाद मेरी नींद टूटी तो देखा कि मेरा जहाज जा चुका था। समुद्र में दूर-दूर तक देखने पर भी जहाज की झलक तक नहीं मिली।
डरा व सहमा हुआ मैं दौड़कर पास की एक ऊंची चोटी पर जा चढ़ा ताकि दूर तक देख सकूं। लेकिन न तो जहाज और न ही कोई आबादी का निशान दूसरी ओर नजर आया। कुछ नहीं था वहां सिवाय एक सफेद गुंबद के। मैं खोज-बीन करता गुंबद तक जा पहुंचा।
एक बार, कई बंदरगाहों पर रुकता, सामान बेचता व खरीदता, मेरा जहाज एक आश्चर्यजनक द्वीप पर पहुंचा। उस द्वीप पर फलदार पेड़ लगे थे, नायाब किस्म के मोती, नीलम व पन्ना जैसे दिखते फलों से लदे, कलकल करती नदियां थीं, रंग-बिरंगे फूल खिलते थे और कलरव करते पंछी उड़ रहे थे। परंतु कोई मनुष्य नजर न आया। मैंने उस सुंदर द्वीप को देखने का मन बनाया। जहाज रुका तो मैं उतरकर अकेला एक पहाड़ी पर चढ़ने लगा। थक गया तो सुस्ताने बैठ गया। ठंडी हवा के झोंकों के नशे में मैं पसर गया और पहुंच गया सपनों की दुनिया में।
काफी देर बाद मेरी नींद टूटी तो देखा कि मेरा जहाज जा चुका था। समुद्र में दूर-दूर तक देखने पर भी जहाज की झलक तक नहीं मिली।
डरा व सहमा हुआ मैं दौड़कर पास की एक ऊंची चोटी पर जा चढ़ा ताकि दूर तक देख सकूं। लेकिन न तो जहाज और न ही कोई आबादी का निशान दूसरी ओर नजर आया। कुछ नहीं था वहां सिवाय एक सफेद गुंबद के। मैं खोज-बीन करता गुंबद तक जा पहुंचा।
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