मनोरंजक कथाएँ >> थम्बलीना थम्बलीनाए.एच.डब्यू. सावन
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बच्चों के लिए रोचक एवं मनोरंजक कहानियाँ....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
थम्बलीना
बहुत पुरानी घटना है, एक विवाहित महिला थी जो वर्षों से संतान के लिए तरस
रही थी। उसे न बेटा नसीब हुआ था न बेटी। वह लगभग निराश हो चली थी।
तभी संयोग से उसकी भेंट एक बूढ़ी तपस्विनी से हुई। विवाहिता बोली, ‘‘मां मुझे एक संतान चाहिए। क्या आपसे मुझे यह आशीर्वाद मिलेगा ?’’
‘‘यह कोई बड़ी बात नहीं है’’, तपस्विनी मुस्कराकर बोली, ‘‘यह मक्की का दाना लो। अपने घर के पास इसे बो देना और देखना चमत्कार !’’
बड़ी आशा के साथ महिला ने वह दाना घर की दहलीज के सामने बो दिया। मौसम ठीक रहा और कुछ ही दिनों में अंकुर फूटा। पौधा बढ़ने लगा-पर वह मक्की जैसा नहीं लगता था।
पौधे की चोटी पर एक फूल खिला-विचित्र नस्ल का। फूल की एक डंडी थी व चारों ओर लाल-पीली पंखुरियां। महिला को वह फूल इतना प्यारा लगा कि उसने अपने हाथों के कटोरे में उसे थाम चूम लिया।
तभी संयोग से उसकी भेंट एक बूढ़ी तपस्विनी से हुई। विवाहिता बोली, ‘‘मां मुझे एक संतान चाहिए। क्या आपसे मुझे यह आशीर्वाद मिलेगा ?’’
‘‘यह कोई बड़ी बात नहीं है’’, तपस्विनी मुस्कराकर बोली, ‘‘यह मक्की का दाना लो। अपने घर के पास इसे बो देना और देखना चमत्कार !’’
बड़ी आशा के साथ महिला ने वह दाना घर की दहलीज के सामने बो दिया। मौसम ठीक रहा और कुछ ही दिनों में अंकुर फूटा। पौधा बढ़ने लगा-पर वह मक्की जैसा नहीं लगता था।
पौधे की चोटी पर एक फूल खिला-विचित्र नस्ल का। फूल की एक डंडी थी व चारों ओर लाल-पीली पंखुरियां। महिला को वह फूल इतना प्यारा लगा कि उसने अपने हाथों के कटोरे में उसे थाम चूम लिया।
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