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मनोरंजक कथाएँ >> सिंड्रैला

सिंड्रैला

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4773
आईएसबीएन :81-310-0379-4

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बच्चों के लिए मनोरंजक एवं रोचक कहानियाँ....

Sindraila -A Hindi Book by A.H.W. Sawan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सिंड्रैला

एक समय की बात है, एक बेचारी निर्धन लड़की अनाथ हो गई। उसका नाम था ‘एला’। उसकी मां तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी थी। तब उसके पिता ने दूसरा विवाह किया, जिससे दो बेटियां पैदा हुईं। फिर पिता भी चल बसे।
एला की सौतेली मां थी घमंडी, क्रूर और महत्त्वाकांक्षी। वह नए–नए फैशन के कपड़े पहनती। हैट खरीदने के लिए भी वह पेरिस जाती। परंतु सारी रेशम या मखमल भी उसे उसकी भौंडी बेटियों को क्या सुंदर बना पाता।
झूठी मां ने अपनी भौंडी बेटियों को गलत फहमी में डाल रखा था कि वे बर्था और जर्टरूड—फूल की कलियों की भांति सुकोमल व सुंदर हैं। पर सच्चाई तो एला के रूप में खड़ी थी उनके सामने।

कहां उसके सुनहरे बाल, संगमरमर सी कोमल काया, मदमाती मुस्कान और मुलायम हाथ तथा छोटे सुडौल पैर।
सौतेली बहनों को बहुत ईर्ष्या होती। अपनी खीझ उतारने के लिए वह एला से घर का सारा काम करवातीं। उसे बरतन मांजने पड़ते, कपड़े धोती। झाड़ू लगाती, फर्श पर पोछा मारती और अंगीठी से राख-कोयला निकाल बाहर फेंक आती। सौतेली बहनें चिढ़ाने के लिए उसे सिंड्रैला पुकारतीं अर्थात् सिंडरएला=सिंड्रैला=कोयले वाली एला।
‘‘कोयले ले आ, सिंड्रैला !’’
‘‘मेरी जूतियां पालिश कर, सिंड्रैला।’’
‘‘करमजली, नकचढ़ी ! मूर्ख सिंड्रैला !’’


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