मनोरंजक कथाएँ >> गोल्डीलॉक्स और तीन भालू गोल्डीलॉक्स और तीन भालूए.एच.डब्यू. सावन
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बच्चों के लिए मनोरंजक एवं रोचक कहानियाँ
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गोल्डीलॉक्स और तीन भालू
बहुत दिन बीते, घने व अंधेरे जंगल के छोर पर बने सुंदर बंगले में एक अति
सुन्दर लड़की रहती थी। उसके बाल ऐसे चमकीले, सुनहले व घुंघराले थे कि
लोगों ने उसका नाम ही रख दिया था- ‘गोल्डीलॉक्स’
अर्थात्
‘सुनहली लटों वाली’।
प्रतिदिन वह अपने घर के बगीचे में खेलती और प्रतिदिन ही उसकी मां उसे चेतावनी देती, ‘‘बेटी, जंगल में मत जाना।’’
गोल्डीलॉक्स प्रायः जंगल की सीमा पर खड़ी रहस्यमय अंधेरे जंगल में झांकती। विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, फलों व फूलों की मिली-जुली सुगंध उसे बहुत भाती थी।
पंछियों की चहचहाहट और जंगली जानवरों की आवाजें उसके मन को उत्सुकता से भर देती थीं। रंग-बिरंगे फूल उसका मन मोह लेते थे- पर मां की चेतावनी को भी वह नहीं भूलती थी।
एक सुबह, नाश्ते के बाद, मां जब घर के कामकाज में व्यस्त हो गई तो गोल्डीलॉक्स जंगल में कुछ दूर जाने का लोभ न छोड़ पाई।
कुछ कदम भीतर जाकर उसने नीली घंटी जैसे फूल चुने।
फिर वह एक गिलहरी के पीछे दौड़ी।
कुछ देर की भागम-भाग के बाद उसने मुड़कर देखा तो उसको अपना बंगला नजर नहीं आया। अनजाने में ही वह जंगल में बहुत भीतर निकल आई थी। उसने मां को आवाज दी, पर कोई उत्तर नहीं मिला।
प्रतिदिन वह अपने घर के बगीचे में खेलती और प्रतिदिन ही उसकी मां उसे चेतावनी देती, ‘‘बेटी, जंगल में मत जाना।’’
गोल्डीलॉक्स प्रायः जंगल की सीमा पर खड़ी रहस्यमय अंधेरे जंगल में झांकती। विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, फलों व फूलों की मिली-जुली सुगंध उसे बहुत भाती थी।
पंछियों की चहचहाहट और जंगली जानवरों की आवाजें उसके मन को उत्सुकता से भर देती थीं। रंग-बिरंगे फूल उसका मन मोह लेते थे- पर मां की चेतावनी को भी वह नहीं भूलती थी।
एक सुबह, नाश्ते के बाद, मां जब घर के कामकाज में व्यस्त हो गई तो गोल्डीलॉक्स जंगल में कुछ दूर जाने का लोभ न छोड़ पाई।
कुछ कदम भीतर जाकर उसने नीली घंटी जैसे फूल चुने।
फिर वह एक गिलहरी के पीछे दौड़ी।
कुछ देर की भागम-भाग के बाद उसने मुड़कर देखा तो उसको अपना बंगला नजर नहीं आया। अनजाने में ही वह जंगल में बहुत भीतर निकल आई थी। उसने मां को आवाज दी, पर कोई उत्तर नहीं मिला।
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