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मनोरंजक कथाएँ >> परी, दानव और राजकुमार

परी, दानव और राजकुमार

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4777
आईएसबीएन :81-310-0204-7

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बच्चों के लिए आकर्षक एवं रोचक कहानियाँ....

Pari Danav Aur Rajkumar A Hindi Book A.W.H. Sawan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

परी, दानव और राजकुमार

बहुत समय बीता, एक था बहुत अमीर आदमी जिसके थीं तीन बेटियां। फिर समय पलटा, व्यापार में घाटा हुआ और वह अपनी सारी जमा-पूंजी गंवा बैठा। परिवार को हवेली बेचनी पड़ी और एक छोटे कस्बे में टूटा-फूटा मकान लेकर रहना पड़ा।

तीन बेटियों में से, बड़ी दो को अब हमेशा यही शिकायत रहती कि सारे घर का काम खुद ही करना पड़ता है, और पार्टियों में तो जाना ही नहीं होता। लेकिन सबसे छोटी हूर जैसी सुंदर थी और मां-बाप ने नाम ही उसका ‘परी’ रख दिया था, बड़ी शांत थी, उसे कोई शिकायत नहीं थी।

एक दिन, उनका पिता काम ढूंढ़ने या व्यापार की जुगत लड़ाने शहर जाने लगा। घोड़े पर सवार होते समय उसने पूछा, ‘‘बेटियो, अगर किस्मत अच्छी रही और कुछ पैसे मिल गए तो तुम्हारे लिए क्या लाऊं ?’’
‘‘मेरे लिए सुंदर-सा गाउन लाना,’’ बड़की बोली।
‘‘मेरे लिए चांदी का नेकलेस’’, मंझली ने फरमाइश की।

‘‘पापा, आप सही-सलामत लौट आइए’’, परी बोली, ‘‘वही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार होगा।’’
‘‘ओह, मेरी अच्छी परी ! किसी चीज का नाम लो।’’
‘‘तो मेरे बालों में लगाने के लिए एक लाल गुलाब लाना’’, वह मुस्कराकर बोला, ‘‘सर्दी का मौसम है। न मिले तो चिंता मत कीजिएगा।’’


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