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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


उसकी बात सुनते ही जिन्न ने हवा में अपने दोनों हाथ फैलाये और फौरन ही उसके हाथों में स्वादिष्ट खाने की तश्तरियां नजर आने लगीं।
जिन्न ने उसे सोने-चाँदी की तश्तरियों में खाना पेश किया था। लश्तरियों के अन्दर खाने-पीने की बड़ी ही अच्छी-अच्छी चीजें थीं। खाना देकर जिन्न उसी प्रकार चिराग के अन्दर चला गया, जिस प्रकार बाहर आया था।
अलादीन अपनी अम्मी को होश में लाने की कोशिश करने लगा और , उसे इस काम में कामयाबी भी मिल गयी। होश में आने के बाद उसकी अम्मी ने जब सोने-चाँदी की तश्तरियों में अच्छा-अच्छा खाने-पीने का सामान देखा, तो वे चकित रह गईं। उन्होंने हैरत में भरकर अलादीन से पूछा “बेटा! ये इतना सारा खाना तू कहाँ से ले आया? और वह धुआं और वह शैतान कौन था?”
“अब हमारी मुसीबतों के दिन खत्म हो गये अम्मी!” अलादीन बहुत खुश होते हुए बोला-“अब तो बस तुम्हारे हुक्म की देर होगी और चिराग का जिन्न तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी कर देगा। अच्छा और बातें मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा, पहले तुम खाना तो खा लो।”
इतना कहकर वह खाने पर टूट पड़ा। उसकी मां ने भी खाना खाया।
खाना खाने के बाद उसने मां को सारी बातें बताईं।
उस दिन के बाद से देखते-ही-देखते अलादीन के दिन फिर गये। उसके घर में अब किसी चीज की कोई कमी न थी। वह तथा उसकी अम्मी जो भी चाहते थे, अलादीन पलक झपकते ही वह चीज उनके सामने हाजिर कर देता था। इस प्रकार उसके और उसकी मम्मी के दिन बड़े ही मजे में गुजरने लगे।
अब अलादीन की जिन्दगी में कोई गम न था, उसे किसी चीज की कोई कमी न थी, अगर कमी थी तो बस एक दुल्हन की। उसकी मां को यह कमी सबसे अधिक खटकती थी, क्योंकि अलादीनः तो इधर-उधर बैठकर अपना वक्त गुजार लेता था, लेकिन उसकी मां घर में सारा दिन अकेली पड़ी रहती थी।
एक दिन उसने अपने दिल की बात अलादीन के सामने रखी। वह बोली-“बेटा! अल्लाह का शुक्र है कि अब हमारे पास हर चीज है, दुनिया का हर आराम हमारे नसीब में हैं लेकिन अब सूना घर मुझे काट खाने को दौड़ता था। बहू तथा पोते-पोतियों की कमी मुंझे बहुत खटकती है।
अब तू जल्दी-से-जल्दी शादी करके मेरी बहू घर में ले आ।”
“मां तू बिल्कुल फिक्र मत कर। तेरी यह ख्वाहिश भी मैं जरूर पूरी करूंगा।”
मां से कहकर अलादीन नै चिराग घिसा और जिन्न को बुलाया। जिन्न फौरन प्रकट होकर बोला| “क्या हुक्म है मेरे आका?”
“भाई जिन्न! मेरी मां की मर्जी है कि इस घर में अब एक बहू आ जाये, इसलिये मैं शादी करना चाहता हूँ।” अलादीन बोला।

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