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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


इतना कहकर जिन्न वहाँ से गायब हो गया। कुछ देर बाद वह अपने साथ हजारों जिन्नों की सेना लेकर लड़ाई के मैदान की ओर चल दिया। जिन्न हथियार लिये हुए थे।
लड़ाई के मैदान में जाते ही जिन्नों की सेना ने हाहाकार मचा दिया। ईरान की सेना जिन्नों का मुकाबला नहीं कर सकी। बहुत-से सैनिक मारे गये और जो बचे वे मैदान छोड़कर भाग निकले। इस प्रकार कुछ ही देर में जिन्नों की सेनां ने ईरान को हराकर बगदाद के बादशाह को जिता दिया। बादशाह इस जीत से बहुत खुश हुआ।
अलादीन की मां फिर से बादशाह के दरबार में पहुंचीं। बादशाह ने उन्हें बहुत इज्जत दी तथा सिर-आंखों पर बिठाया।
बादशाह उनसे बोला-“इस लड़ाई को जीतकर मैं बहुत खुश हूँ। तुम जो चाहे मुझसे मांग लो।”
बादशाह सलामत! मेरी तो बस यही मर्जी है कि मेरे बेटे की शादी शहजादी से हो जाये।” मां ने कहा।
बादशाह उस समय बहुत खुश था, वह फौरन बोला-“अरे शहजादी आज से आपकी बहू हुई। आज से तीन दिन बाद आप बारात लेकर आ जाना, शादी उसी दिन हो जायेगी।”
बादशाह की बात सुनकर अलादीन की मां बहुत खुश हुईं और वह खुशी-खुशी अपने घर लौट आयीं। उन्होंने घर लौटकर अलादीन को बादशाह से हुई सारी बातें बताईं।
अलादीन ने जब यह सुना कि शहजादी से उसकी शादी तय हो गयी है, तो वह बहुत खुश हुआ।
उधर बादशाह ने शहजादी से अलादीन की शादी का दिन तय कर दिया और इधर उसके दरबार में दूसरी ही खिचड़ी पकने लगी।
बादशाह का वजीर एक खुराफाती दिमाग का शख्स था, वह शहजादी की शादी अपने लड़के रहमान से करना चाहता था। जिससे बादशाह के कोई लड़का न होने की वजह से उसके बाद सारा राजपाठ उसके बेटे को मिल जाये। लेकिन जब उसने सुना कि शहज़ादी की शादी रहमान से तय नै होकर अलादीन से तय हो गयी है तो वह जल-भुन गया। लेकिन वह जानता था. कि जलने-भुनने या क्रोधित होने से यह मसला हल होने वाला नहीं था। इसलिये उसके दिमाग ने सियासत से काम लेना ठीक समझा। उसने बादशाह को बहकाना शुरू कर दिया। वह कहने लगा-"बादशाह सलामत! अगर आप शहजादी नूरमहल की शादी कहीं और कर देंगे तो एक साथ दो जिंदगियां बरबाद हो जायेंगी। आपकी बेटी नूरमहल और मेरी बेटा रहमान एक-दूसरे से बहुत मुहब्बत करते हैं। अगर आप इन दोनों की जिन्दगी बरबाद नहीं करना चाहते तो अलादीन से शहजादी की शादी रोक दीजिये और रहमान से कर दीजिये। वरना न जाने दोनों एक-दूसरे से बिछड़कर क्या कर बैठे? कहीं दोनों खुदकुशी ही न कर लें?”
उसकी बात सुनकर बादशाह घबरा गया और उसने बिना कुछ जाने-समझे बिना ही नूरमहल की शादी रहमान से तय कर दी।

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