मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
ऐसा सोचकर उसने कुएं में छलांग लगा दी। वह जब कुएं में गिरा तो गिरते वक्त अफ्रीका के जादूगर ने जो अंगूठी उसे सुरंग में जाते वक्त दी थी-वह कुएं की दीवार से टकरा गयी। एक धमाके के साथ वहाँ एक जिन्न प्रकट हुआ।
जिन्न ने फौरन अलादीन को कुएं से बाहर खींच लिया।
वह बोला-“खुदकुशी गुनाह है, यह तो मैं जानता हूँ भईया! लेकिन क्या करूं मरने के सिवा मेरे पास और कोई चारा नहीं है।” अलादीन उदास होकर जिन्न से बोला-“जब किसी की जिन्दगी का कोई मकसद नहीं रह जाता तो वह यही करता है जो मैं करने जा रहा था।”
“आपको क्या परेशानी है मेरे आका! आप मुझे बतायें? मैं आपकी परेशानी दूर करने में अपनी जान भी दे सकता हूँ।”
जिन्न की बात सुनकर अलादीन को बड़ा सुकूनं मिला और खुदकुशी करने का इरादा छोड़ दिया।
फिर वह जिन्न से बोला-भाई। पहले तो तुम मुझे यह बताओ किं जब यह अंगूठी इतनी करामाती है कि उसके अन्दर. तुम रहते हो तो यह अंगूठी उस जादूगर ने मुझे क्यों दी?”
जिन्न हँसता हुआ बोला-“मेरे आका! ये अंगूठी उस जादूगर को एक फकीर ने दी थी। जादूगर तो बस इतना ही समझता है कि यह एक हीरे की अंगूठी है जिसमें से तेज रोशनी निकलती है, जो किसी भी अंधेरे को चीरने में समर्थ है। इसीलिये उसने यह अंगूठी आफ्को दे दी। लेकिन सच्चाई तो यह है कि यह अंगूठी मेरा घर है और जिसके भी पास यह होती है, मैं उसका गुलाम होता हूँ। जब यह अंगूठी किसी भी चीज से टकराती है तो मैं इसमें से निकल आता हूँ।”
उसकी बात सुनकर अलादीन बड़ा खुश हुआ, वह बोली-“क्या तुम बता सकते हो कि मेरा महंल कौन ले गया है?”
“जी हाँ।” जिन्न बोला-“आपका महल अफ्रीका को वही जादूगर उठाकर अफ्रीका ले गया है।”
“क्या तुम मुझे वहाँ पर पहुँचा सकते हो?”
“हाँ मेरे आका! जरूर पहुँचा सकता हूँ, आप मेरे कंधे पर बैठ जाइये। अभी-अभी आपको वहाँ पहुँचा दूंगा।”
अलादीन जिन्न के कंधे पर बैठ गया और जिन्न अलादीन को लेकर आसमान में उड़ चला। जिन्न बहुत ऊंचाई पर उड़ रहा था।
जिन्न से रास्ते में अलादीन ने पूछा-"क्या तुम मेरे महल को उठाकर वापस बगदाद में नहीं ला सकते?”
“नहीं मालिक, यह काम मैं नहीं कर सकता हूँ।” जिन्न साफ-साफ : बोला-"यह काम सिर्फ चिराग का जिन्न कर सकता है। वह दुनिया का हर काम कर सकता है क्योंकि वह सभी जिन्नों का बादशाह है। मैं तो आपको सिर्फ आपके महल की छत पर ही उतार सकता हूँ।”
“ठीक है भाई!” अलादीन बोला-“तुम मुझे मेरे महल की छत पर ही उतार दो, बाकी का काम मैं खुद कर लूंगा।”
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