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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


“नाटक...कैसा नाटक मेरे सरताज?”
"जब शाम को वह शैतान जादूगर तुम्हारे पास आये तो उसके सामने तुम ऐसा जाहिर करना, जैसे तुमने उससे शादी करने की बात मान ली है। यह जानकर वह जादूगर खुश हो जायेगा। तुम जादूगर से कहना कि तुम उसे अपने हाथों से शराब का जाम बनाकर पिलाना चाहती हो। वह तुम्हें बिल्कुल भी मना नहीं करेगा, चूंकि उस वक्त मैं उसी कमरे में छिपा रहूँगा इसलिये तुम्हें डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। जब वह तुम्हारे हाथ से शराब पीने लगे तो तुम यह जहर शराब में मिलाकर उस जादूगर को पिला देना। बस उसका काम-तमाम हो जायेगा। वैसे तो मेरी मर्जी है कि उस जादूगर की खूब पिटाई करूं, लेकिन इस महल को भी मैं बगदाद वापस ले जाना चाहता हूँ, और इसके लिये यह उपाय करना बहुत ज़रूरी है।”
शहजादी को अलादीन की तकरीब बहुत पसन्द आई, इसलिये वह खुशी-खुशी यहे नाटक करने को तैयार हो गई।
वह बोली-“अगर ऐसी बात है तो मैं यह नाटक करने को तैयार हूँ।”
उसके बाद अलादीन और शहजादी ने मिलकर खाना खाया, और फिर एक-दूसरे की बांहों में समा गये।
शाम के समय शहजादी अलादीन से बोली-“अब आप उस अलमारी के पीछे छुप जायें, क्योंकि नाटक करने के लिये मुझे दुल्हन का जोड़ा पहनना होगा।”
अलादीन ने सहमति में सिर हिलाया और चुपचाप अलमारी के पीछे छुप गया। शहजादी दुल्हन की पोशाक पहनने में जुट गई। कुछ देर बाद वह दुल्हन बनी पलंग पर बैठी थी। दुल्हन की पोशाक में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी। उसे देखकर अलादीन एक बार तो पलकें झपकाना ही भूल गया। उसकेमुंह से खुद ही निकल पड़ा-“वाह! कितनी खूबसूरत लग रही हो तुम दुल्हन के कपड़ों में। कहीं किसी की नजर न लग जाये।"
“इस वक्त कुछ न कहो मेरे सरताज! जादूगर आने ही वाला है।” शहजादी बोली।
तभी कमरे में एक कनीज ने आकर बताया कि जादूगर आ रहा है।
शहजादी ने घूंघट निकाला और चुपचाप पलंग पर सिमटकर बैठ गयी।
उसी समय नशे में झूमता हुआ जादूगर कमरे में आया। शहजादी को दुल्हन बनी देख वह अपने होश खो बैठा।

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