लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


जादुई आईने पर एक दृश्य उभरा। वह दृश्य अलादीन के महल के एक कमरे का था। कमरे में अलादीन अपने बेटे अशरफ के साथ खेल रहा था। कुछ दूर बैठी नूरमहल बड़े प्यार से उन दोनों को देख रही थी। जब अलादीन या उसका बेटा हँसता तो वह भी मुस्करा देती। यह सब देखकर जादूगर सेनसन, की आंखों में खून उतर आया। वह दांत किटकिटाने लगा।
“यही दोनों हैं न तुम्हारे दुश्मन?” वैसूफा की आवाज में गुस्सा था।
"हाँ, यही हैं मेरे दुश्मन।”
बहुत जिन्दगी जी ली इन दोनों ने। अब महा जादूगर बैसूफा इन्हें जिन्दा नहीं छोड़ेगा। अपने शिष्य की मौत का बदला लेगा।” इतना कहकर बैसूफा ने आईना बंद कर दिया।
जादूगर सेनसन ने बैसूफा से पूछा-आप युहाँ कब से रहते हैं उस्ताद?”
“हमारे इस महल को बने सौ सालों से ज्यादा समय हो चुका है सेनसन।”
“मैंने आपका यह महल देखा ही नहीं है, अगर इजाजत हो तो...” सेनसन बोला।
जादूगर बैसूफा खुश होता हुआ बोला-“आओ मैं आज खुद तुम्हें अपना महल दिखाता हूँ।"
इतना कहकर बैसूफा सेनसन को साथ लेकर कमरे से निकल गया। महल में मौजूद सैकड़ों दास-दासियों ने उसे झुककर सलाम किया। वे दोनों बहुत देर तक महल को देखते रहे। सेनसन अपने उस्ताद का महल और उसके ठाट-बाट देखकर चकित था।
महल में घूमते-घूमते वे एक बहुत कड़े कमरे में पहुंचे। उस कमरे में बहुत-सी पत्थर की मूर्तियां थीं। उन मूर्तियों की ओर इशारा करके बैसूफा बोला-“जानते हो सेनसन, ये मूर्तियां किनकी हैं?"
सेनसन ने इन्कार में गर्दन हिलाते हुए कहा-“नहीं गुरुदेव, कौन हैं ये लोग?”
“ये मूर्तियां उन लोगों की हैं सेनसन, जिन्होंने महा जादूगर बैसूफा से टकराने की हिमाकत की थी।” कमरे में चहलकदमी करता हुआ बैसूफा बोला-"ये लोग मुझे खत्म करने आये थे, लेकिन ये बेवकूफ, बैसूफा की ताकत को नहीं जानते थे। अगर जान जाते कि जादूगर सम्राट कितना महान् है तो शायद कभी भी मुझसे टकराने की कोशिश नहीं करते। लेकिन इन्होंने बेवकूफी की और मैंने इन्हें अपनी ताकत से पत्थर की बेजान मूर्तियों में बदल दिया।” फिर सेनसन की ओर घूमकर बैसूफा बोला-"तुम्हारे दुश्मन अलादीन को भी मैं इसी तरह मूर्ति में बदल दूंगा और नूरमहल को तुम्हारे दिल की मलिका बनाऊंगा।”
“आप महान् हैं गुरुदेव, आपके जैसा जादूगर विश्व में न कोई हुआ और न होगा।” सेनसन अपने गुरु की तारीफ किये बिना नहीं रह सका।
अपनी तारीफ सुन बैसूफा गरूर में भर उठा। वह बोला-“आओ तुम्हें. बाकी का महल दिखाता हूँ।”
उस बड़े कमरे को पार करके दोनों एक दूसरे कमरे में पहुंचे। यह कमरा पंहले वाले कमरे से भी बड़ा था और उसमें एक पलंग पर एक बहुत खूबसूरत लड़की सो रही थी। पलंग के चारों ओर भी कई खूबसूरत लड़कियां थीं। जों पलंग पर सोई लड़की को हवा कर रही थीं।
इतनी सुन्दर लड़की सेनसन ने पहले कभी नहीं देखी थी। सेनसन सोचने लंगा कि यह उस्ताद भी एक रंगबाज है।
तभी बैसूफा बोला--"क्या सोच रहे हो सेनसेन ?”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book